आत्म व्यथा
आत्म व्यथा
मौत का क्या है तनहा
बस आ जाती है ,
बहाने जिंदगी जीने के
सारे खा जाती है ।
कई बार जब मैं भी
बहुत थक जाता हूँ ,
ये नींद बिन बुलाए
आँखो को भा जाती है ।
जब सोया हुआ समझा
देखा खुद को मैने,
तब महसूस किया ये
वक्त को खा जाती है।
अब बिलकुल नींद नही
आँखे खुली खुली सी है
एक जुनून बनी जिंदगी
हर मंजिल को भा जाती है ।