आसूँ
आसूँ
रास्ते में चलते हुए कभी न सर झुकाते हैं
न कभी किसी से डरते और न कभी डराते हैं
वो पिता ही हैं मेरे,,जो मेरी खातिर दुनिया से लड़ जाते हैं
वो मुसीबतों में रहते हुए भी आसूँ नहीं बहाते हैं।।
वो पिता ही हैं मेरे जो मेरे घर में मेरी माँ का फ़र्ज़ निभाते हैं
अपनी परवरिश का ख्याल कर ज़िन्दगी का आभार जताते हैं
वो पिता ही हैं मेरे जो मेरी खातिर अब भी काम पे जाते हैं
वो मुसीबतों में रहते हुए भी आँसू नहीं बहाते हैं।।
वो पिता ही हैं मेरे जो सादगी पूर्ण अपना जीवन बिताते हैं
अपनी इच्छाशक्ति से वो कभी न हार पाते हैं
वो पिता ही हैं मेरे जो मेरी खातिर जीवन को जश्न की तरह मनाते हैं
वो मुसीबतों में रहते हुए भी आसूँ नहीं बहाते हैं।।
वो पिता ही हैं मेरे जो हार कर भी जीत का शंख बजाते हैं
वो अपनी माता और पिता के आगे नतमस्तक हो जाते हैं
वो पिता ही हैं मेरे जो मेरी ज़िन्दगी में वीर पुरुष कहलाते हैं
वो मुसीबतों में रहते हुए भी आसूँ नहीं बहाते हैं।।