आशियाना
आशियाना
है वीरों का सरहद पे आशियाना,
तले आसमां के धरा को सजाना।
...........
लुटा अपनी जाँ, हँसते-हँसते वो जाते,
ज़रा कोई सीखे इश्क इनसे निभाना।
...........
जिन्हें अपनों की याद होगी सताती,
है आता उन्हें सबसे अश्क छिपाना।
.............
सर्द हो या गरम, तुम डटकर खड़े,
न भूले तुम देश पे जान लुटाना।
...........
वो अम्मा की लोरी,वो आँखों में गोरी,
छोटी लाड़ो के आँसू तुंन्हे हैं आते भुलाना।
..............
ए वीर मेरे फिर से संकट है छाया,
मात-धरा को बस तुम्हें है बचाना।
...........
तुम्हीं हो समर्थ है तुममें वो शक्ति,
स्वर्ण अक्षर में लिक्खा तुम्हारा फसाना।
..............
महाराणा तुम्हीं हो भगत भी तुम्हीं हो,
तुम्हें आता है दुश्मन को मार भगाना।
.............
खुद में जोश बढ़ा लो, भाल तिलक सजा लो,
जाँ हथेली पे रख, चल फिर इतिहास बनाना!