जन्माष्टमी -इंसा कृष्ण हो जाए
जन्माष्टमी -इंसा कृष्ण हो जाए


जन्म का तेरे उत्सव यूँ रंगीन हो जाए,
कि कृष्ण पथ पे चल इंसा कृष्ण हो जाए।
उठा इतिहास सीखें वो ज़रा सा बालपन तुझसे,
सारे जहां का वो भी फिर चितचोर हो जाए।
जो देखे रास वो तेरा, जो समझे मित्रता तेरी,
बन कान्हा-सा वो फिर किसी की आस हो जाए।
जो छोड़े स्वार्थ वो तुझ-सा,निभाए प्रेम राधे-सा,
तो कलयुग में तेरे इस रूप की मिसाल हो जाए।
जो तूने दिया है गीता में वो सार समझे तो,
जीवन सफल और ये धरा फिर स्वर्ग हो जाए।