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Anita Lodhi

Inspirational

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Anita Lodhi

Inspirational

आओ फिर से दीया जलाएँ

आओ फिर से दीया जलाएँ

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आओ फिर से दीया जलाएँ

भरी दोपहरी में अंधियारा

सूरज परछाई से हारा 

अंतरतम का नेह निचोड़े

बुझी हुई बाती सुलगाएँ

आओ फिर से दिया जलाएँ।


हम पड़ाव को समझे मंजिल

लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल

वर्तमान के मोह - जाल में

आने वाला कल न भुलाएँ

आओ फिर से दिया जलाएँ।


आहुति बाकि यज्ञ अधूरा

अपनों के विघ्नों ने फेरा

अंतिम जय का वज्र बनाने

नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ

आओ फिर से दीया जलाएँ।


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