आओ घमंड भाव का परित्याग करें
आओ घमंड भाव का परित्याग करें
देवता रुपी मूरत है वो....
जिसके अन्दर अभिमान नहीं...!!
इंसान नहीं पत्थर है वो...
जिसके अन्दर स्वाभिमान नहीं...!!
देवता रुपी मूरत है वो....
जिसके अन्दर अभिमान नहीं...!!
इंसान नहीं पत्थर है वो...
जिसके अन्दर स्वाभिमान नहीं...!!