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Anoop kumar Mayank

Abstract Others

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Anoop kumar Mayank

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मुफ़लिसी

मुफ़लिसी

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मैं ढूंढ़ता रहा मुफ़लिसों के घर पक्की बस्ती में !

सड़क पर आया तो जमीं बिछौना थी !!

मैं ढूंढ़ता रहा उन्हें ज़ेवरातों के अंबर में !

जमीं पर पाया तो मिट्टी ही सोना थी !!

मैं ढूंढ़ता रहा उन्हें खुशनसीबों के नसीब में !

बात करके पाया तो जिंदगी एक रोना थी !!

मैं ढूंढ़ता रहा उन्हें अखबारों की सुर्खियों में !

ढूंढ़ने पर पाया बस एक बीमारी कोरोना थी !!



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