"अल्फ़ाज़"
"अल्फ़ाज़"
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तुम सुकून ढूंढ़ते हो उनकी हर बात में...!
चाहते हो मोहब्बत उनके हर जज़्बात में...!
तुम भी कमाल करते हो मियां....
तुम्हें चांद चाहिए अमावस की रात में...!
कमाने के लिए घर से दूर
अपनों के बगैर होते हैं !!
अगर लड़कियां घर की लक्ष्मी
तो लड़के कुबेर होते हैं !!
मैं ढूंढ़ता रहा मुफ़लिसों के घर पक्की बस्ती में !
सड़क पर आया तो जमीं बिछौना थी !!
मैं ढूंढ़ता रहा उन्हें जेव़रातों के अंबर में !
जमीं पर पाया तो मिट्टी ही सोना थी !!
मैं ढूंढ़ता रहा उन्हें खुशनसीबों के नसीब में !
बात करके पाया तो जिंदगी एक रोना थी !!
मैं ढूंढ़ता रहा उन्हें अखबारों की सुर्खियों में !
ढूंढ़ने पर पाया बस एक बीमारी कोरोना थी !!
