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Ruchika Rai

Abstract

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Ruchika Rai

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आँसूओं की बरसात

आँसूओं की बरसात

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आँसूओं की बरसात में गम बह गई

दिल में जमी थी काई वह निकल गई

बोझिल जो साँसें हो चुकी थी कबसे,

इन आँसूओं के बहने से बोझ ढह गई।

आँसूओं की बरसात यूँही नही होती,

चोट लगी हो दिल में तो आँख है रोती,

आँसूओं के साथ सारे दर्द निकल गए,

बरसात के बाद जैसे आस पास धुल गए।

वफ़ा के बदले जब मिलती है बेवफ़ाई ,

अपेक्षाओं की बोझ जब बढ़ती जाई,

आँसूओं की बरसात मन को भिंगोये,

जैसे दिल ने हमारी चोट गहरी खाई।

आँसूओं की बरसात जब दिल से होती,

मन के अंदर पलती बुराई खत्म होती,

ह्रदय निर्मल निश्छल पूरी तरह हो जाता,

छल कपट द्वेष दिल से है खत्म होती।


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