आंखों ही आंखों में सुबह हो गई
आंखों ही आंखों में सुबह हो गई
आज रात आखों में सुबह हो गई
देखा तो सुबह चांदनी हो गई।
फिर नींद से आंख भर आईं
सोने लगी तो सुबह हो गई।
मन था सोने का पर घर में
बच्चों की आवाज आ गई।
कुछ खिला दो बहुत देर हो गई
मैं मुस्कराई की आज थोड़ी देर हो गई।
न जाने नींद रात कहा खो गई
पति ने आवाज लगाई
कि नींद तो एक बहाना है।
मुझको तो दफ्तर जाना है
शाम को तुमने घर का चूल्हा जलना है।
मैं नींद में भागी तो पति से टकरा गई
पति ने कहा लगता है आज
खाना नहीं बनाने का बहाना है।