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Vimla Jain

Action Classics Others

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Vimla Jain

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आमआदमी की अधूरी डायरी

आमआदमी की अधूरी डायरी

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मैं हूं एक आम आदमी की डायरी जो हमेशा लोगों से छिपा कर लिखी जाती है।

मुझ में सब आम आदमी जिसकी मैं डायरी होती हूं उसके सारे राज छिपे होते हैं।


जी हां मैं हूं एक आम आदमी की डायरी। 

मुझे खुशी है कि मैं आम आदमी की ही डायरी हूं , किसी डॉन की नहीं।

नहीं तो मेरे में उसके अपराध का कच्चा चिट्ठा लिखा होता

और पुलिस मुझे तलाश रही होती।


खुशनसीब हूं, मैं कि आम आदमी की डायरी हूं ।

मुझ में लिखे हैं वह सुख दुख भरे पल जो तुमने जमाने से छुपाए मगर मुझको बताएं।

खुशनसीब हूं मैं कि मैं तुम्हारी डायरी हूं

जी हां मैं आम आदमी की ही डायरी हूं।


कुछ पन्ने इसमें अधूरे हैं कुछ पन्ने इसमें पहुंचे जिस समय जो मिला वह लिख दिया ।

उस समय जो करावो लिख दिया

मगर फिर भी कुछ ख्याल अधूरे तो अधूरे रह ही जाते हैं जो पन्नों पर नहीं उतारे जाते हैं।

कुछ पन्ने अधूरे रहे और मेरी डायरी अधूरी रह गई।


यह है मेरी आम आदमी की अधूरी डायरी।

डायरी आपकी मन की भाषा होती है जिसको ज्यादा साझा नहीं किया जा सकता।

इसीलिए वह क्वॉरेंटाइन होती है। अपनो से सबसे छुपा के रखी जाती है ।

लोगों में शाया नहीं किया जाता है।


इसलिए मैंने प्रतियोगी डायरी लिखना बंद करा।

क्योंकि अपनी रो जिंदा दिनचर्या खोल देना मुझे पसंद नहीं।

और इसी कारण रह गई मेरी डायरी अधूरी।

यह दास्तान है मेरे जैसे एक आम आदमी की अधूरी डायरी की अधूरी कहानी।


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