आखिर क्यों
आखिर क्यों
अजीब दर्द सा दिल में मचल रहा क्यूँ है,
अभी ये ज़ख्म फिर करवट बदल रहा क्यूँ है।
हवा ये आज फिर से क्यूँ महक रही ऐसे
बता महक से मेरा दिल बहल रहा क्यूँ है।
नहीं मिला कभी जब चाहते थे हम उसको
ज़ुदा है राह तो फिर साथ चल रहा क्यूँ है ।
बड़े जतन से हमने ग़म को दिल में दफनाया
उसी की आहटों से फिर विचल रहा क्यूँ है।
बहा के रख दिया आंखों से जलजला हमने
उन्हीं से आज फिर तूफ़ां निकल रहा क्यूँ है।
जहाँ पे रोशनी की आस छोड़ बैठे *मणि*
वहाँ उम्मीद का इक दीप जल रहा क्यूँ है।