आखिर हम क्या चाहते है
आखिर हम क्या चाहते है
थक कर लौटे जब हम घर
मुस्कुराहट तुम्हारी देखना चाहते है
वो कुछ लम्हे मोहब्बत के
और घर में सुकून देखना चाहते है
दिन भर के किस्से कहानियाँ सुनाकर
कुछ वक़्त ठहर कर तुम्हारी आँखें पढ़ना चाहते है
हम वो भी सुनना चाहते हैं जो तुम कहो
और वो भी पढ़ना चाहते है जो तुम ना कह पाओ
तुम्हारे ख्वाब सुनना
और तुम्हारे साथ ख्वाब बुनना चाहते है
कोई बात राज़ ना रहे हमारे दरमियान
ऐसा रिश्ता बनाना चाहते है
सारी तकलीफ भूलकर
बस वो लम्हे ज़िन्दगी के खुलकर जीना चाहते है
दिल में तुम्हारे वो जगह
और ज़िन्दगी में तुम्हारे शामिल होना चाहते है
थोड़ा वक़्त, थोड़ा भरोसा ,
तुम्हारा साथ और तुम्हारी मोहब्बत चाहते है
बस इतना चाहते है।

