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Brijlala Rohanअन्वेषी

Abstract Comedy Action

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Abstract Comedy Action

आखिर बिकाऊ कौन

आखिर बिकाऊ कौन

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लोग कहते हैं कि नेता बिकाऊ होते हैं,

ये सच भी है, 'आया राम गया राम 'की तरह।

मगर यह अधूरी सच्चाई है।

अगर गौर फरमाया जाए तो बिकाऊ तो जनता होते हैं,

जो अपने अमूल्य वोट को दारू के बोतल और

मुर्गा के दाम पर जुमलेबाजों को बेच देते हैं।


पर सिवाय इसके,इनके पास आखिर चारा ही क्या है ?

साहब !पेट की भूख इंसान को मजबूर बना देती है।

मगर इसका ये हल तो नहीं !

उनके इसी भोलेपन और शराफ़त का ये भ्रष्ट,

कथित नेतागण नाजायज़ फायदा उठाते आ रहे हैं 

पर उन पाषाण हृदय, बेहया ये कभी नहीं सोचते कि

किसे वे ठग रहे, लूट रहे 


जिस 'भारत माता ' का नारा ये अपनी

जन- सभाओं में पूरे जोर- शोर से लगाते हैं,

जिसके आगे वो पुष्पांजलि अर्पित करते और सिर झुकाते हैं।

वो कोई और नहीं, ये वही करोड़ों - करोड़ निर्धन,

असहाय, बेबस जनता - जनार्दन ही तो हैं। 


अगर ये नहीं तो आखिर कौन हैं भारत माता ?

देशभक्त लोग हमें भी बताएँ।

मगर ये जिसे लूट रहे ये कोई दूसरा नहीं खुद वो ही हैं,

जो अपने आने वाली पीढ़ी के भविष्य को अधर और अंधकार में डाल रहे।

पर आखिर समझाये कौन इन मदांध सत्ताधीशों को ?


कौन दिखाए उन वीर- सपूतों के सपनों को जिसकी प्राप्ति के लिए

अपने अमूल्य जीवन को देश के उत्थान के प्रति उत्सर्ग कर दिया।

अगर सचमुच नेता बिकाऊ होते हैं,

तो हम उन्हें खरीद ही क्यों रहे ? 


अपने बीच से ही उत्पाद तैयार कीजिए

जो हमारी आवाज को बहरे कानों तक पहुँचाये,

और सत्ता पर सदियों की दासता से मुक्ति पाकर खुद को काबिज करे।

हाशिये की जिंदगी को पटरी पर लाने का बस यही एक तरीका है,

हम सही उत्पाद को ही बेचे और खरीदें।


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