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Tanha Shayar Hu Yash

Abstract

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Tanha Shayar Hu Yash

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आज़माना ठीक नहीं ( गज़ल )

आज़माना ठीक नहीं ( गज़ल )

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हर बार हर किसी को आज़माना ठीक नहीं , 

शार्गिद हो तो शार्गिद ही मर जाना ठीक नहीं । 


कभी कभी लुत्फ उठाओ सुनकर झूठ का भी , 

अरे "तनहा" हर बार सच को दबाना ठीक नहीं । 


सबकी हसरत होती है एक चाँद से चेहरे की , 

पर हर वक्त अपना आईना छुपाना ठीक नहीं । 


हर इंसान को इंसान की गलती बताना चाहिए , 

हर किसी को भंवर में छोड़कर आना ठीक नहीं । 


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