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संजय कुमार

Abstract

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संजय कुमार

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आजादी

आजादी

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स्वतंत्र हुआ है देश हमारा वीरों के बलिदानों से

अब तक देश बचा के रखा अपने वीर जवानों से

भारत माता मुझे बुलाएं पहन रक्त का चोला।

मेरा रंग दे बसंती चोला ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, चोला

देश की रक्षा की खातिर हम अपना लहू बहाएंगे

दुश्मन को नहीं जीने देंगे बॉर्डर पर मिट जाएंगे

देश की आजादी कि खातिर हमने लहू की होली खेला

मेरा रंग दे बसंती चोला,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, चोला

झुक जाएं जग चाहे सारा झंडा हम लहराएंगे

देश में आए अगर मुसीबत हम अपना लहू बहाएंगे

देश रहे आजाद हमेशा ऐसा खेल है हमने खेला 

मेरा रंग दे बसंती चोला,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, चोला

आएगा जो राह में मेरी उसका नाम मिटा देंगे

भारत माता के चरणों में हम सारे देश झुका देंगे

राह में आए 61,65, और 71 को भी हमने झेला 

मेरा रंग दे बसंती चोला,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, चोला

         


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