आज कल के रिश्ते
आज कल के रिश्ते
मुझे कभी कभी लगता था कि,
मुझे बदल जाना चाहिए था ,
वक्त के साथ ,
मगर मैं नहीं बदली,
मैं रही वही पुरानी सी ,
नए जमाने के साथ नही मिलता मेरा तालमेल,
ये उधेड़बुन में उलझे रिश्ते ,
मुझे हरगिज समझ नही आते ,
या तो रिश्ते बनाओ मत,
या फिर उन्हे दिल से निभाओ,
मुझसे किसी की नकल नहीं होती,
शायद उसके लिए भी अक्ल चाहिए,
जो मेरे ख्याल से मेरे पास नहीं है
इसलिए मेरी सोच जल्दी ,
किसी से मिलती ही नही,
आधुनिक दौर में अश्लीलता को ,
सुंदरता का दर्जा दे दिया जाता है,
जबकि मेरी नजर में सुंदरता ,
केवल आपकी सहजता में है ,
आपके स्वभाव में है,
मुझे नहीं अच्छी लगती लोगों की तेज आवाज़ें,
मैं कहती हूं की गर बहस भी हो तो,
चिल्लाया न जाए,
नही पसंद कुछ तो सहजता से मना कर दें,
बेमन से हां करना बिल्कुल सही नही,
झूठे रिश्तों में बंधे रहना,
झूठी आस में संबंधों को बोझ की तरह ढोना,
हमे बिल्कुल गंवारा नही ,
जबकि आजकल रिश्ते सब नाममात्र और दिखावे के है बस,
सामने तारीफें ,पीठ पीछे आपकी ,
कमियों का बखान करते नजर आते हैं,
ये फ़ैशन के नाम पर फटे चिथड़े ,
लपेटी हुई लड़कियां ,
उन्हे ऐसा लगता ही कि ऐसे कपड़ों में ,
वो बहुत सुंदर लगती हैं,
मगर ऐसा कुछ नही उन्हे देखने वाली नजरे,
या तो घृणा से देखती हैं या फिर हवस से,
मजाल क्या कोई उन्हे तारीफ की नजरों से देख ले,
आपका व्यक्तित्व आपका आइना है,
आपकी सहजता आपका व्यवहार आपको सुंदर बनाता है,
और सम्मान भी तभी मिलता है,
जब हम खुद को उस सम्मान के लायक,
बनाते हैं...!
ख़ैर...सबकी अपनी सोच हैं,
मगर मैं खुश हूं की इस बदलते दौर को
मैने खुद पर कभी हावी नहीं होने दिया...!
मैं पुराने विचारों की हूं तो मुझे इसमें रत्ती भर भी शर्म महसूस नहीं होती।
