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Priya Silak

Abstract Fantasy Inspirational

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Priya Silak

Abstract Fantasy Inspirational

 "मन की धूप-छाँव"

 "मन की धूप-छाँव"

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 "मन की धूप-छाँव"

छोटे-छोटे ख्वाबों की चादर तानी,
हर दर्द को चुपचाप ही पहचानी।
मुस्कानों में छिपा लिया हर आंसू,
जैसे कोई कहानी अधूरी कही जानी।

चलते-चलते थक गई राहों में,
पर रुकी नहीं कभी बाहों में।
कभी अपनों ने ही तोड़ा हौंसला,
फिर भी दिल ने ना मानी हारों में।

चुप्पियों में भी थी एक आवाज़,
जिसे सिर्फ़ दिल ने सुना हर बार।
अब वक्त है उड़ान की उस ऊंचाई का,
जहाँ सिर्फ़ सपने होंगे, ना कोई दीवार।



By priya silak 


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