आज एक और दिन
आज एक और दिन
आज एक और दिन
प्रक्रति का जीवन को अमूल्य उपहार
एक अवसर नकरात्मक सम्मोहन को
विघटित होते हुए देखने का
प्रेम से जीवन योग को समझने का
विचारों के मौसम को बदलने का
खुद को छोड़कर खुद में
मिल जाने का
एक साथ इतना कुछ होना
प्रतिफल ही है
जीवन कर्म का
इंसान को इंसान की
नजर से देखने का
अदृश्य का साक्षत्कार करने का
और आनन्द का हमसफ़र होकर
एक कदम चलने का!
अपनी जिम्मेदारियों को निभाने का
और बहसों के बीच मे
एक निर्णय लेने का
और उस निर्णय के साथ जीने का
रुपांतरित होकर
प्रक्रति में विचरण करने का।
