आज भी जहन में तु रोज आता हैं
आज भी जहन में तु रोज आता हैं
वो शख्स
आज भी जहन में,
ना जाने क्यों
रोज आता हैं,
कभी प्यारा सा
ख्वाब बनके,
तोह कभी
कड़वी सच्चाई बनके,
वक़्त ने
तुझे तो भुला दिया,
पर तेरे दिए हुए सब ज़ख्म
आज भी याद हैं मुझे,
दुआ करूंगी की तू खुश रहे,
रहे आबाद जहाँ भी रहे
पर मुझे दिए हुए वोह सभी दर्द ,
कभी ना भूल पाएं
ना तुझे भी सुकून कभी मिले,
ना तुझे भी आराम मिले
तू भी रातों को,
शमा-इ-दोजक सा जले
मैंने
शिद्दत से चाहा था तुझे,
पर तूने उस रिश्ते का
मज़ाक बना दिया,
दुआ करूंगी
की तू खुश रहे,
पर वो धोका जो मुझे दिया था
भूल ना कभी भी पाएं।