STORYMIRROR

Krupa Shah

Abstract Drama

3  

Krupa Shah

Abstract Drama

तेरे नन्हे कदम

तेरे नन्हे कदम

1 min
593

तेरे नन्हे कदम पढ़ते ही 

जैसे खुशिया बिखर गयी घर में


हम सब की ज़िन्दगी तब से 

तेरे नाम ही हो गयी जैसे


खुश किस्मत है हम 

की तू आँगन हमारी आया


तेरे प्यार की खुशबू ने

हमारी ज़िन्दगी को महकाया


अब तो बस यही इल्तेज़ा है रब से 

कि यह रिश्ता कभी न टूटे


लग जाए उम्र मेरी भी तुझे

और तेरा साथ कभी न छूटे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract