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Anjana Singh (Anju)

Abstract

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Anjana Singh (Anju)

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आइना

आइना

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आईना हर किसी को

खुद की सच्चाई दिखाता है

पर यह भी सच है सच्चाई को

सच नहीं कह पाता है


जिंदगी के आईने में

हम खुद का अक्स देखते हैं

खुद ही खुद को ढूंढते हैं

और खुद में ही खो जाते हैं


बाहरी अक्स दिखाता सबकों

पर मन के अंदर लगी 

खरोंचों चोटों को

कहॉं दिखा पाता है आइना


मन की बातें भी तो

एक तरह की होती आईना

हम लिख देतें 

 कागजों पर हाल दिल का

जो होती मन का आइना


हमारे मन की स्मृतियां भी 

बन जाती है आईना

न जाने कितनें

अक्स बनाती बिगाड़ती

फिर दिखाती आईना


कहते हैं नजर का

धोखा है आईना

दिल में है जो 

वही बताता है आईना

खुद को समझना है अगर 

खुद का बन जाओं आइना


गुजरे हुए लम्हों को

नहीं दिखाता आईना

यादों के गलियारों में जाकर

ढूंढते हैं लम्हे जों

वो दिखाता है मन का आईना


नजरों से ही बात करूं 

बातों से क्या लेना

मन का कोई जोर चले ना

ऐसी ही होता आईना


दुनिया में ऐसा कौन है

जो नहीं देखता है आइना

ये तो है एक सच्चा साथी

सभी को देता प्रेरणा!


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