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J P Raghuwanshi

Inspirational

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J P Raghuwanshi

Inspirational

"आह्वान"

"आह्वान"

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हे! मानव तू कब से कमजोर हो गया,

तेरा वह शौर्य, पुरुषार्थ कहां खो गया।


तू ने ही उड़ाई थी, मुगलों की नींद,

तू ने ही तो पाई थी, फिरंगियों पे जीत।


उठ, पराक्रम कर, नया कीर्तिमान रच,

तू है, वीर पराक्रमी, यही तेरा सच।।


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