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Dr.Purnima Rai

Romance

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Dr.Purnima Rai

Romance

आहटें

आहटें

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मन की आँखों से

देख लिया चेहरा उसका

सामने आकर भी जो

सामने आ न सका मेरे!!


उठ रहे थे

कई सवाल ज़हन में

लब पे आकर भी

थम से गये जज़्बात यूँ ही!!


मद्धिम सी

जल रही थी रौशनी

धुँधला सा अक्स भी

खुद-ब-खुद रूबरू हो गया

दिल के आशियाने में!!


चाहत के इज़हार से

गमज़दा ये दिल

दूरियों को भी

हँसते हुये लगा स्वीकारने !!


चहल-पहल का आलम

धड़कनें भी थी आज़ाद

दबी सी आहटें करने लगी

न जाने क्यों बेकरार !!



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