आहटें
आहटें


मन की आँखों से
देख लिया चेहरा उसका
सामने आकर भी जो
सामने आ न सका मेरे!!
उठ रहे थे
कई सवाल ज़हन में
लब पे आकर भी
थम से गये जज़्बात यूँ ही!!
मद्धिम सी
जल रही थी रौशनी
धुँधला सा अक्स भी
खुद-ब-खुद रूबरू हो गया
दिल के आशियाने में!!
चाहत के इज़हार से
गमज़दा ये दिल
दूरियों को भी
हँसते हुये लगा स्वीकारने !!
चहल-पहल का आलम
धड़कनें भी थी आज़ाद
दबी सी आहटें करने लगी
न जाने क्यों बेकरार !!