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Rahul Jain

Romance

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Rahul Jain

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ये इज़हार-ए-इश्क़!!!

ये इज़हार-ए-इश्क़!!!

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हुस्न-ए-बला है ही तुम्हारा कुछ ऐसा,

जिसका बखान कर ही नहीं पाए थे 'हायल'!!!


तबस्सुम की रौशनी भी छितरा सी जाए,

जब छनकाओ तुम अपनी ये पायल!!!


महफ़िल-ए-तरन्नुम में अलफ़ाज़ जो तुमने दागे कुछ तरह,

जज़्बात-ऐ-बयाँ के हम भी हो गए कायल!!!


इज़हार-ए-इश्क़ का अंदाज़ था ही बेहद कातिलाना,

की करता सा चला गया हमें बेइन्तहाशा घायल, बेइन्तहाशा घायल!!!


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