आदत खास
आदत खास
ये तेरी बेरूख़ी की हम से आदत खास टूटेगी,
कोई दरिया ना ये समझे कि मेरी प्यास टूटेगी,
तेरे वादे का तू जाने मेरा वो ही इरादा है,
की जिस दिन सांस टूटेगी उसी दिन आस टूटेगी।
ये प्यास टूटेगी जिस दिन दीवाने ए ख़ास में पैमाने,
चिल्मे ए सुलगती अंगारों में ख़ुद को सलाम अदा करेंगे,
गर्दिश में तारों को गिनते गिनते तेरे प्यार का पैग़ाम लिखा करेंगे,
तेरे करम तराज़ू में तोल तुझको टटोला करेंगे।
एलान ए मोहब्बत सितम गरदो को नोश फरमा देगें,
ख़िलाफत में खड़े लोगों पान सुपारी भी नोश करवा देंगे,
फिर भी मुस्कानं हमारी काम करने लगीं,
बेरूख़ी कब तक किसी को नाराज़ कर सकती है,
अदब से मुस्कुराहट पहचान हमारी बन जाती है।
