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ER. DHARMENDRA KUMAR MARSKOLE

Tragedy

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ER. DHARMENDRA KUMAR MARSKOLE

Tragedy

आदिवासी जल-जमीन-जंगल से बेदखल

आदिवासी जल-जमीन-जंगल से बेदखल

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मै केवल देह नहीं,

 मै जंगल का पुश्तैनी दावेदार हूँ---।

 पुश्ते (पूरखें )और उनके दावे मरते नही-

 और मै भी मर नही सकता हूँ---।।

 मुझे जंगलो(जमीन ) से कोई भी बेदखल नही कर सकता है--।।


जंगलों पर लटकती

लूट की यह तलवार भारी है,

पर देखो,

हिमनद का पिघलना भी जारी है,

और जारी है,

समंदर के साहिल पर तूफान का पनपना*

*दिन-ब-दिन

अपनी धरती का लगातार तपना।

जंगल में हमारी रोटी है,

और वहीँ हमारी पुरखौती है.

इंसानियत के लिए

धरती को बचाना अब एक चुनौती है।


जंगल की हरियाली और खुशबू का  

होता है अपना ही एक इतिहास,

आदिवासी जीवन पलता है

जंगल में, और उसके आस पास।

जिन्दा रहने, गरिमा और मान से

लड़ रहे है हम, पूरे जी जान से

बचाने अस्तित्व, एक और जंग

ताकि बना रहे जीवन प्रकृति के संग।

साक्षी है, पेड़ों के ऊपर, बहती हवाएं भी,

हमारे बिना, नहीं आएँगी काम कोई दुआएं भी

 

नम बादलों से बरसती बूंदों को कैद करते

जंगल के यह अनजान रास्ते, 

जहाँ से गुजरे है हमारी सभ्यता के कदम, 

करो स्वीकार हमारा वजूद, इंसानियत के वास्ते।

पत्थरों पर जैसे निशान है हमारे रक्त से सने

विद्रोह की चिंगारियों पर बसे है गाँव घने

 

चाहते हो तुम

हमें जंगल से उजाड़ना

बाघ के लिए,

पहले भी खदेड़ा था

जब ऊँचे बांध बन रहे थे, और   

बेशकीमती पत्थरों को खोदते समय

हमारे जंगल सुलग रहे थे।

यह सब,

देश के विकास के नाम पर

मगर मालूम नहीं था हमे

देश का मतलब

पहाड़ हमारे लिए देवता है,

और जंगल में बहती पानी की धार,

हमारे पूर्वजों की अवतार।

आज भी,


ऊँची इमारतों के भीतर शयनकक्षों में  

सजे पलंग और लकड़ियों से बने फर्श

हमारी रक्तिम बूंदों से भीगे हुए है।

ऐसा लगा था

कि संसद में शब्दों की बारिश से

ऐतिहासिक अन्याय से तपते

झुलसते जंगलों की आग बुझी हो।

नियमागिरी के फैसले ने

हमारी उम्मीदों में जान फूंकी थी

लेकिन, जंगल में लहलहाते पेड़ों से

टकराकर रह गयी

हमारी आज़ादी की पुकार अनसुनी |

फिर भी, इन नम हवाओं पर तैरती है

उम्मीद की अन उलझी पतंग  

कि, बसा रहेगा हमारा जीवन

जल, जंगल, जमीन और जीव के संग।


 मुल्क पर राज हैं तुम्हारा इसका मतलब यह नहीं कि मुल्क तुम्हारा है---।

 दफ़न है पीढियाँ हमारी जहाँ पर घर तुम्हारा है--।।


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