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ER. DHARMENDRA KUMAR MARSKOLE

Crime Others

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ER. DHARMENDRA KUMAR MARSKOLE

Crime Others

आदिवासी लड़ रहा है

आदिवासी लड़ रहा है

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भारत के एस सी ,एस टी,ओ बी सी की

लड़ाई आदिवासी लड़ रहा है।

अपने आदिवासी मूलवासी मूलनिवासी सम्मान पाने,

पूंजीपतियों, सामंतवादी, तानाशाही और सरकार से आदिवासी बिरसाई उलगुलान कर रहा है।


भारत में आज आदिवासी, की जल जमीन जंगल और

आत्मसम्मान और सुरक्षा की जंग जारी है

एक तरफ भोले भाले आदिवासी हैं

दूसरी तरफ देश की बी एस एफ, आर्मी,सी एस एफ, आई टी बी पी, एस एस बी, और पुलिस सरकारी हैं।

इसीलिए आदिवासी को नक्सली और देशद्रोही

 का आरोप लगा आदिवासी अपनी जल जमीन जंगल के लिये अपनी जान गवा रहा है।


कहा गये वो अधिकार जो भारत के संविधान में आदिवासी के

आदिवासी को अपने ही जल जमीन जंगल से बेदखल किया जा रहा है

कहा गये वो आदिवासी जो देश विकास और राष्ट्र के विकास और क्षेत्र के विकास के नाम पर अपनी ही जल जमीन जंगल से विस्थापित किये

ऐसा लगता है आज आदिवासी की सामाजिक पहचान, अस्तित्व, अस्मिता, और भावी पीढ़ी की पहचान खतरे में है।


आदिवासी के बिरसावाद ,बिरसाई उलगुलान से ही

हम आदिवासी, एससी, ओबीसी,माइनॉरिटी का सीधा वास्ता है।

आदिवासी,मूलवासी,मूलनिवासी,की वास्तविक पहचान का यही एक

एकमेव पर्याय का रास्ता बिरसा वाद , बिरसाई उलगुलान है।

हम सब आदिवासी,एससी,ओबीसी,माइनॉरिटी के आदिवासी मूलनिवासी पहचान के लिए वर्तमान भारत में

आदिवासी,बिरसावाद, बिरसाई उलगुलान कर रहा है।


कहाँ गये पढ़े लिखे युवा

अधिकारी और कर्मचारी

अपने जल जमीन जलंग आत्मसम्मान और सुरक्षा के अधिकार के खातिर

तुम भी करलो बिरसा वाद, बिरसाई उलगुलान की तैयारी

कब उलगुलान कर मांगोगे हक अपना

बिरसा,टंट्या, राघोजी, अम्बेडकर, फुले भगतसिंह, बाबूराव, शंकरशाह रघुनाथशाह झलकारी तुम सबसे कह रहे हैं।


आदिवासी संस्कृति और सभ्यता के प्रमाण से ही

आदिवासी, एससी, ओबीसी, और माइनॉरिटी की आदिवासी मूलवासी,मूलनिवासी, पहचान है

आदिवासी, के बिरसावाद, बिरसाई उलगुलान से ही

आदिवासी जिंदा है तो ही एससी, ओबीसी और माइनॉरिटी भारत में जिंदा है

फिर क्यो आज आदिवासी अकेले ही बिरसाई उलगुलान की लड़ाई लड़ रहा है।


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