संस्कृतिक समाजवाद
संस्कृतिक समाजवाद
मत करो तुम यू समाज को बदनाम
हमारे पूर्वजों ने नहीं किया कभी जातिवाद क्षेत्रवाद, पार्टीवाद पूँजीवाद, व्यक्तिवाद, धर्मवाद, संगठनवाद, का बखान
एक वो हमारे पूर्वज ही थे जो सत्यमार्ग, समानता,निसर्ग, प्रकृति, संस्कृति, समता, और मानवता का दूसरा नाम
वो जो हमारे लिये जल जमीन जंगल, आत्मसम्मान और सुरक्षा के लिये किया है उलगुलान
एक वो ही है जो अपनी कौम के लिये अपना बलिदान कर सामाजिक समस्याओं का किया है समाधान
हम याद करें उनके संघर्ष, उलगुलान को और अपने जल- जमीन - जंगल आत्मसम्मान, सुरक्षा,समानता, पहचान, अस्तित्व, अस्मिता, और भावी पीढ़ी के पहचान के लिये करें बिरसाई उलगुलान
हमारे समाज के लोग कर रहें है समाज में जातिवाद, क्षेत्रवाद,पार्टीवाद, पूँजीवाद, धर्मवाद,व्यक्तिवाद, और संगठनवाद, का गुड़गान
समाज परे है महामानवों, क्रान्तिकाररियों के बलिदान रूपी बिरसावाद, बिरसाई संदेश, और बिरसाई उलगुलान।
