आधुनिकता को बदनाम करता हूं
आधुनिकता को बदनाम करता हूं
निगाहें अगर कलुषित हो
तो आधुनिकता क्या करेगी
फूल वस्त्र में भी तेरी
पूरी जिस्म दिखेगी।
आंखों में अड़ेगी
वस्त्र ढीली ढाली पड़ेगी
नीली पीली वाली कह कर
आगे पीछे तेरी चलेगी।
जहां-तहां रुक रुक कर
हंसी मजाक करेगी
सुने सपट्टे गलियों में
छेड़छाड़ खूब करेगी।
बहाना कोई बना बनाकर
मित्र जन को एक करेगी
अपना इच्छा पूर्ति को
आधुनिकता की चीर हारेगी।
केवल ऐसे मित्रों से
मैं सच उत्तर चाहता हूं
आधुनिकता की सच्चाई को
सब से शेयर करता हूं।
फटी पुरानी वस्त्रों में भी
लल्ला सुंदर पाता हूं
पर दूसरी बहन बेटियों पर
कीचड़ उछाल देता हूं।
मानव होकर पशु रूप में
पहचान अपना देता हूं
सत्य समर्पित शब्दों से
आधुनिकता को बदनाम करता हूं
सत्य समर्पित शब्दों से
आधुनिकता को बदनाम करता हूं।
