||"आबोदाना"||
||"आबोदाना"||
आबोदाना हुआ पूरा,
अब दूर जाना है,
बंधनों से परे,
रिश्ता निभाना हैं,
ममत्व की पीड़ा,
घेरे खड़ी है,
पैरों में भी,
मोह - ममता की बेड़ी पड़ी है,
मोह - ममता की बेड़ी से,
पार पाना हैं,
आबोदाना हुआ पूरा,
अब दूर जाना है!
जीते - जी के मेले हैं,
स्वार्थों के रेले हैं,
जीवन यात्रा हुई पूरी,
अब भाड़ा चुकाना हैं,
मकड़ - जाल है दुनिया,
इसमें उलझ नहीं जाना हैं,
आबोदाना हुआ पूरा,
अब दूर जाना है!
जिस खोले में तू रहता था,
जिसे अपना तू कहता था,
जिसके लिए जीता और मरता था,
वो याराना पुराना है,
किसी को फुर्सत नहीं,
तेरे साथ चलें पल दो पल,
बस अब कोल निभाना हैं,
आबोदाना हुआ पूरा,
अब दूर जाना है!
कड़ियों से जोड़ कर कड़ियाँ,
माला पिरोई थी,
टूट गयी माला,
बिखर गये मोती,
लगाकर गाँठ रिश्तों में,
फिर से माला बनाना हैं,
आबोदाना हुआ पूरा,
अब दूर जाना है!
नहा लिये गँगा और यमुना,
नहा लिये कावा और काशी,
बनारस घाट बैठ के,
चन्दन घिसवाना हैं,
आयेंगे जब रघुवर,
उनका भाल सजाना हैं,
आबोदाना हुआ पूरा,
अब दूर जाना है!
दुनिया में जब आया था,
कुछ न साथ लाया था,
यहीं जोड़े हैं ये रिश्ते,
यहीं छोड़ जाना हैं,
जीते - जी के ये फन्दे,
क्या सोच रहा बन्दे,
लख चौरासी भोग,
मानुष चोला छोड़,
"शकुन" मुक्ति का
मार्ग बनाना है !
