बूढों को ५ दिन का हफ्ता चाहिए
बूढों को ५ दिन का हफ्ता चाहिए
बूढ़ों की ज़िन्दगी में शनि और रवि क्यों आता है
सुचारू ज़िन्दगी में, बेवजह व्यवधान पड़ जाता है
सरकारी दफ्तर, बैंक, बाज़ार, टीवी सीरियल बंद
शनि रवि को वक़्त काटना चुनौती बन जाता है
बढ़ती उमर संग हमारी प्राथमिकता बदल गई है
हमारी मान्यता और हमारी अपेक्षा बदल गई है
५ दिन काम और २ दिन आराम, माने जो होंगे
अपनी ज़िन्दगी तो हर दिन ही नल्ली बन गई है
जवानी में सप्ताह अंत का, इंतज़ार रहता था
आजकल सप्ताह प्रारंभ का, इंतज़ार रहता है
उन दिनों सूरज के ढलने का इंतज़ार रहता था
आजकल सूरज के निकलने का इंतज़ार रहता है
सप्ताह में ५ दिन, सोमवार से शुक्रवार तक
टीवी सीरियल में कहानी कुछ तो आगे बढ़ती है
सोम से शुक्रवार बच्चों से रोज़ बातें हो जाती हैं
लगता है, ज़िन्दगी आप ही, आगे बढ़ती रहती है
'योगी' जीवन चलने का, आगे बढ़ने का नाम है
जीवन में ठहराव की, रुकावट नहीं होनी चाहिए
यूँ भी छुट्टी के दिन बूढों की घड़ी धीमे चलती है
बूढों का हफ्ता ७ नहीं, ५ दिन का होना चाहिए