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जख्म सिलता हूँ

जख्म सिलता हूँ

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वो आगे से बांए मुड़ जाना, नुक्कड़ के बाद पहली दुकान है राजवीर की, सिलाई का काम करता है, आठ बजे तक दुकान पर ही होता है। मिल जाएगा आपको सुधीर ने राहागीर को पूरा रास्ता समझाते हुए कहा।

अरे भैया, मुझे किसी दर्जी से नहीं उपन्यासकार से मिलना है।अभी हाल ही में उनकी किताब 

"बिकता हुआ आदमी " प्रकाशित हुई थी।

अरे मैडम, वो दर्जी ही उपन्यासकार है, आप जाओ मिल लो....।

असंमजस मे फसी हुई पत्रकार लतिका आगे बढ़ गई। उसने देखा, उस छोटी सी दुकान पर बड़े मनोयोग से एक शख्स अपनी सिलाई मशीन चला रहा था।

"सर आपका नाम राजवीर है " अचकचाते हुए लतिका ने पुकारा।

" जी कहिए, मैं ही राजवीर हूँ ", उसने सिलाई मशीन से सर उठाते हुए कहा।

' मेरा मतलब उपन्यासकार राजवीर से है," लतिका ने फिर पूछा।

" जी, मैं ही हूँ, कहिए।"

" सर मैं पत्रकार हूँ, ये बताइए कि एक तरफ दर्जी का काम और दूसरी ओर उपन्यासकार.....कुछ अजीब सा लग रहा है," लतिका कुर्सी सरकाकर बैठ गई।

" कुछ भी अजीब नहीं है बहन, उधड़े कपड़ो को सिलाना हो या फिर गरीबों का दुख दर्द मैं पूरी इमानदारी से दोनों काम करता हूँ।सुबह दस से शाम को आठ बजे तक पेट भरने का जुगाड़ करता हूँ तो बचे हुए समय में दर्द को जज्बातों की स्याही में भिगोकर को शब्दों से सिलाई करता हूँ " राजवीर ने सधे हुए शब्दों में कहा।

" फिर किताबों का प्रकाशन...." ? 

" रोज की कमाई से दस रूपये अपनी किताब के लिए अलग रख देता हूँ।अब तक पांच प्रकाशित हो चुकी और दो जल्दी ही आने वाली है " राजवीर ने बताया "।

" कभी कोई अवार्ड....?" लतिका ने जिज्ञासा की।

" मेरी हर किताब को अवार्ड मिले है..." राजवीर ने एक काठ अलमारी खोलकर लतिका को दिखाई।

" ये सब तो आपको किसी काँच की अलमारी में रखना चाहिए ताकि सबको पता चले "।

" नहीं बहन ....अगर मैं ऐसा करूँगा तो इस बस्ती के लोग मुझे अपने से बड़ा मानने लगेंगे और फिर अपना दर्द मुझसे साझा नहीं करेंगे ....आप समझ गई होंगी मैं क्या कहना चहाता हूँ। मैं तो बस जख्म सिलता हूँ "।

" बिल्कुल समझ गई..."।

" बस आखिर प्रश्न...'।

" पूछिए ..."।

" आपने किस आवार्ड को टारगेट किया है " लतिका ने पूछा।

" मेरा टार्गेट अवार्ड नहीं....वे लोग हैं जो गरीब, दुखी,मजबूर,लाचार का फायदा उठाते हैं।उनके मन में दया जगाना और पीड़ित को आत्मविश्वास देना ही मेरा उदेश्य है।अगर मैं इसमें कामयाब हो सका तो खूद को सफल इंसान मानूँगा " कहते हुए राजवीर ने आवार्डों से सजी अलमारी को बंद कर दिया और सिलाई मशीन पर काम करने लगा।

मेरा पहला इंटरव्यू इतना शानदार होगा ये तो कभी मैंने सोचा ही नहीं था सोचते हुए लतिका माइक और कैमरा समेटने लगी।


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