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Zuhair Abbas

Tragedy Others

4.9  

Zuhair Abbas

Tragedy Others

आख़री Call !

आख़री Call !

2 mins
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उम्मीद तो यहां ज़िन्दगी से नहीं फिर पता नहीं कैसे सोच लिया कि उसके साथ ज़िन्दगी गुज़ार सकता हूं, उसके सहारे से ज़िन्दगी में खुशियां ढूंढ सकता हूं।


आज हमें चार साल हो गए साथ में, ना जाने कब ये वक़्त बीत गया पता ही ‌ना चला... 

आज मेरा जन्मदिन है और इसी दिन सब शुरू हुआ था और इसी सब खत्म होने जा रहा है।


पूरे 14 घंटे हो गए हैं मेरे जन्मदिन को और ‌ना कोई ‌मेसेज ना कोई कॉल, किसी को ना बता सकता हूं ना ये समझा सकता हूं क्या बीत रही है दिल पर।


मन में अजीब ख्याल आ रहे हैं। बस एक सोच लिए बैठा हूॅं कैसे भूल सकती है वो? ना जाने क्यों आज ही ऐसा कर रही है?


फिर अचानक मेरे फ़ोन की रींग बजी, मैं खुशी से फोन को उठाने के लिए दौड़ा। फोन के दूसरी तरफ खामोशी ‌ने‌ मेरे दिल की धड़कनों को तेज़ कर दिया, फिर धीरे से उसके रोने ‌कि आवाज़ ने मुझे बेचैन कर दिया। मैने कुछ नहीं पुछा लेकिन बस ये कहा कि, तुम्हारे रोने ‌से‌ मेरी ‌जान निकल रही है। मुझे वजह बता दो, मैं ऐसे रोते हुए तुम्हें नहीं सून‌ सकता।


सिसकियों से रोते हुए उसने कुछ ऐसा कहा कि मैं कुछ वक़्त तक बोल‌ ना सका।

जिसने पूरी ज़िन्दगी साथ निभाने का वादा किया था वो‌ आज बिना वजह बताए मुझसे कह रही है, हमारा साथ बस यही तक था... ना जाने ऐसा क्या हुआॽ मेरे पुछने पर मुझे खुद कि कसम देकर बोली अगर मुझसे कभी मोहब्बत कि है तो वजह ना पुछो।


कसम तोड़ नहीं सकता था और मोहब्बत झुठी नहीं थी मेरी।

मैने खामोशी को अपनी ज़िन्दगी बना‌‌ लिया...

शहर बदल दिया उसने, न॰ बदल दिया और मैं हकीकत से महरूम रह गया।


कुछ वक़्त बाद पता चला जिस दिन ‌मेरे साथ ये सब हादसा हुआ था उसकी बड़ी बहन का तलाक हुआ था। उसकी बड़ी बहन ने भी लव मैरेज किया था घर वालो के खिलाफ जाकर। उस दिन ‌सच्चाई सामने आ गई थी कि उसने एेसा क्यों किया होगा।


बस अफसोस इस बात का है उसने मेरी मोहब्बत पर भरोसा नहीं किया। मुझे उससे अब कोई शिकायत नहीं, शायद ये सब उसने अपने परिवार के लिए किया खुदकी और मेरी मोहब्बत को दाव पर लगाकर।


लेकिन फिर भी हर फोन कि रींग पर उसके वापस आने कि उम्मीद में लगा रहता हूॅं, पर कभी उसे बेवफा नहीं कहता। साथ होना ना होना ज़रूरी नहीं, बस सच्ची मोहब्बत ज़रूरी है और मैं जानता हूॅं उसे मुझसे मोहब्बत ज़रुर थी।



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