आशा
आशा
समुन्द्र की लेहरो की तरफ देखता हुआ आज सूरज अपनी पत्नी आशा को बोहत याद कर रहा था। उसे महसूस हो रहा था के आशा के बिना उसका ये जीवन निरर्थक है। उसकी ज़िन्दगी तो वही थी जो कुछ दिनों पहले आये इस भयंकर तूफान (सुनामी) ने छीन ली। वह खुद को उस समुन्द्र में विलीन करने जा रहा था कि उसे लेहरो में से एक चेहरा उभरता हुआ नज़र आया, बोहत ही तेजस्वी मानो लेहरो ने एक स्त्री का रूप ले लिया हो और वो स्त्री उसकी आशा ही थी ! उसने सूरज का हाथ थामा और कहा "ये क्या करने जा रहे थे तुम ?" सूरज ने कहा " तो क्या करू आशा एक पल में सबकुछ छीन गया।" आशा ने उसे समझते हुए कहा "अब मेरी बात ध्यान से सुनो, तुम्हारे पैरो के निचे देखो तुम्हे चीटियां चलती हुयी नज़र आ ही जाएँगी, देखो इन्हे इनके लिए तो एक कदम चलना भी मौत कि तरफ कदम बढ़ाना है । क्या है इनके पास तुम्हारे जीतनी सक्षम तो नहीं है।अपने आस पास ज़रा देखो ये पेड़- फूल-फल....देखो ज़रा इन्हे! फूलो को तो सिर्फ इसलिए तोड़ लिया जाता है क्युकी वो खुशबू देते है, सुन्दर है| ये फल जब किसी कि भूख मिटाते है तो खुद को फ़ना कर किसी को एक नया जीवन देते है। और ये पेड़ जब इन्हे काटा जाता है तो ये तो चीख कर अपना दर्द भी बयां नहीं कर सकते। तुम तो मांसाहारी हो न ! कुत्ते से भी तुम्हे बोहत जल्दी लगाव हो जाता है पर मीट खाते वक़्त तुम नहीं सोचते के जानवरो का भी कोई परिवार हो सकता है। भले ही सब हमारी तरह नहीं है लेकिन क्या ऐसा न होने से उनकी भावनाएं बदल जाती मरते वक्त क्या दर्द कम हो जाता है जान तो जान ही रहेगी न चाहे किसी की भी हो। पर हम ये सब नहीं सोचते क्युकी कुदरत का नियम ही यही है, दुनिया ऐसे ही चलती है। ईश्वर ने तुम्हे एक इंसान का जीवन दिया है... बुद्धि सोचने की क्षमता दी है। अपना दर्द तुम्हे बयान करने की ताकत दी है| ज़िन्दगी में पल भर की निराशा आ जाने से उस ईश्वर के वरदान का अपमान मत करो। मेरा तुम्हारा साथ सूरज मेरा एक ही ख्वाब था के जब मेरी याद आये तो फ़रियाद ना आये। आज तुम अपनी ज़िन्दगी ख़त्म करने की सोच रहे हो लेकिन कभी सोचा है की मौत के बाद क्या होगा। कम से कम जो लोग आज है वो रिश्ते वो दोस्त तो नहीं होंगे| ये ग़म के पल तो गुज़र जाएंगे और हर पल के साथ जीवन गुज़र रहा है अगर तुम्हारा कोई ख्वाब नहीं तो मेरे लिए जिओ पर जीना मत भूलो। आनेवाला कल किसी ने नहीं देखा !" इतना कह कर वो लेहरे फिर समुन्द्र में जा मिली ! और सूरज को एक नयी आशा दे गयी !
इतना ही था।