Bharti Suryavanshi

Drama

3.7  

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अजिंक्य -Chapter 2.1- एक अजनबी

अजिंक्य -Chapter 2.1- एक अजनबी

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(पिछले chapter में तो आप पढ़ चुके हैं की किस तरह ये अजनबी फलक से मिला। अब ये देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि क्या अजिंक्य वकेह में ही जरूरतमंद है और फलक उस पर नाराज़ क्यों हो गयी। पढ़िए और जानिए ) 

दोनों के ऐसे चहरे देखकर आख़रीकार फलक मान गयी उसने कहा “उफ्फ़… ok father, मैं इसे घर Rent पर दे दूंगी पर सिर्फ़ तब तक के लिए जब तक study ख़त्म नहीं हो जाती सिर्फ़ 8 महीने के लिए। और मेरे rules तुम्हे मानने होंगे अगर वो follow नहीं हुए तो उसी वक्त घर से निकाल दूंगी, all right!” फलक ने चेतावनी दे दी थी जिसे अजिंक्‘हाँ’ कह कर मान लिया।

Father- “good girl, जाओ इसे घर दिखा दो।”

अजिंक्य - “Thank You Father.”

 “अभी से आ जाओगे, फलक ने मुंह बनाते हुए कहा “ok, चलो।”

दोनों घर की ओर निकलते हैं। लेकिन कॉलेज में कोई और भी था जो अजिंक्य के इंतजार में था और वो था वीर। वह अजिंक्य को फलक के साथ देख चौंक गया और उन दोनों का पीछा करने लगा। अजिंक्य और फलक दोनों घर पर पहुँचे। फलक ने घर के बारे में बताते हुए कहा “यह मेरा घर है मेरे माँ और पापा का। उनकी मौत के बाद मैं यहाँ कभी रहने नहीं आई। (घर का दरवाज़ा खोल उसने अजिंक्य को अंदर आने को कहा ) “आओ देखो यहाँ रहना है तो शराफत से रहना। no late night parties and not at all hanky panky! मुझे बोहअच्छी तरह मालूम है तुम जैसे लोग हॉस्टल की जगह single room क्यों ढूंढते हो। तुम्हारा तो jackpot लग गया है।” अजिंक्य ने कहा “अरे नहीं आप गलत समझ रही हैं।”

फलक (थोड़े आश्चर्य के साथ) "आप? इतने sincere हो! पता नहीं क्यों मुझे तुम पर doubt है।”अजिंक्य को एहसास हुआ कि दरवाज़े के पास कोई और भी है। फलक घर की एक-एक चीज के बारे में अजिंक्य को बता रही थी। घर की हर एक चीज आज भी उतनी ही सहेजी हुई थी जैसे यहां कोई रहता हो, हॉल में कई सारी पुरानी मूर्तियाँ थी, पूरा घर बिलकुल  well furnished था और इतना आलिशान था के यह देख अजिंक्य ने सवाल पूछा “फलकजी यह bunglow इतना खूबसूरत है तो आप यहाँ रहते क्यों नहीं? पास में है घर फिर भी हॉस्टल क्यों ?" फलक ने कहा "क्योंकि इसी जगह मेरी माँ ने आख़री सांस ली थी। बचपन तो कुछ खास याद नहीं पर वह दिन याद है जब बड़ी ही बेरहमी से उनकी साँसें टूटी।(गहरी सांस लेकर) इसलिए तुमसे कह रही हूँ मेरे घर का ख्याल रखना।अजिंक्य - “आप इसका ख्याल काफी अच्छा रख ही रहीं है।”

फलक - “हाँ maid है वह दिन में एक बार आकर घर की साफ-सफाई कर देती है। आज के बाद उसे तुम pay करोगे।”

अजिंक्य ने कहा - “Oh... Ok!"

फिर से अजिंक्य को लगा घर में सोफे के पीछे कोई छुपा हुआ है इसीलिए अब उसे फलक को घर से निकालने की जल्दी हो रही थी, उसने हड़बड़ाते हुए कहा "अच्छा, तुम जाओ मैं इस घर का पूरी तरह से ध्यान रखूंगा""इतनी जल्दी आप से तुम पर आ गए नजर रहेगी तुम पर।” फलक ने कहा

अजिंक्य हँसते-हँसते ‘bye - bye’ बोलता हुआ फलक को दरवाज़े के पास ले गया और फलक को बाहर कर उसने झट से दरवाज़ा बंद कर दिया।" उसके पीछे मुड़ते ही उसने वीर को अपने सामने पायाअजिंक्य ने वीर को देखते ही तुरंत गले लगा लिया और कहा “तू यहाँ आया और मुझे बताया तक नहीं तेरा यह world tour कभी पूरा होगा की  नहीं? बैचलर australia में किया और मास्टर के लिए तो तू london में था न! तो यहाँ शिमला जैसे छोटे शहर में तुझे आने की क्या सूझी मेरे भाई? और तू ये बात कैसे करा था हाँ जी... हाँ जी... आप-आप करके। It was too funny….! बड़ी मुश्किल से मैंने अपनी हँसी रोकी।”

अजिंक्य - “बस भी कर कितना बोलेगा।” दोनों सोफे पर बैठे और अजिंक्य ने champagne की 1 बोतल निकाली।

वीर-“और वो जो morning में warning देकर गई है उसका क्या?"

अजिंक्य - “झूठ बोला यार उससे, इसमें क्या बड़ी बात है मैं कोई शरीफजादा थोड़ी ही हूँ। Let’s party tonight!! अपने पुराने friends को कहना नए घर की खुशी में अजिंक्य ने पार्टी दी है। आज रात 10:00 बजे सब आ जाए।”

वीर-Ok done!!”

फलक अपना घर अजिंक्य को रेंट पर देने के बाद परेशान थी, उसके दिमाग में सुबह की बातें बार-बार आ रही थी वो सोच रही थी जो नज़र आ रहा है वो है नहीं, अजिंक्य ज़रूर कुछ है जो छुपा रहा है। फिर अचानक उसे कुछ याद आया उसने निशा को कहा “उठ चल अजिंक्य के घर… I mean मेरे घर चलना है।निशा - “पागल हो गई है इतनी रात को, 11:00 बज रहे हैं अच्छा नहीं लगता दो लड़कियों को ऐसे….समझ!”

फलक - “तू समझ कुछ तो गड़बड़ है... आज जब मैं अजिंक्य को घर दिखा रही थी तब उसका बर्ताव कभी बोहतdecent तो कभी कुछ अलग सा... ज़रूर कोईगड़बड़ है।”

निशा- “CID ना बन! तू ज्यादा सोच रही है।”

बालों में ला wig और पैरों में पजामा! फलक ने वहां वीर को भी देखा जो उसी की कॉलेज में पढ़ता था और उन दोनों का दोस्त भी था। यह सब देख फलक ने गुस्से में अजिंक्य से कहा - “अभी और इसी वक्त मेरे घर से निकल जाओ। झूठ बोला तुमने, फादर कितना नेक समझ रहे थे तुम्हे उनकी और मेरी feelings का मजाक बना दिया।” Just get lost from my house…!!

अजिंक्य - “और अगर ना जाऊं तो… फलक उसे गुस्से से घूर रही थी उसने आगे कहा

come on फलक! जब तक तुम फादर को बताओगी नहीं, वो यहाँ आएंगे क्या? और जब तक तुम उन्हें फ़ोन करके यहाँ बुलाओगी उतनी देर में तो यह सब दोस्त गायब हो जाएंगे कैसे साबित करोगी के यहाँ कोई party चल रही थी। उनके सामने बेवकूफ लगोगी,वो भी यही समझेंगे कि अपने इस घर के लिए तुम मुझ पर झूठा इल्जाम लगा रही हो ।”

 अजिंक्य का ये बर्ताव देख फलक का गुस्सा और भी बढ़ रहा था उसने कहा,“मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता अगर वो मुझे गलत भी समझे, वैसे भी वो मुझे बचपन से जानते हैं मेरी बात मानेंगे समझे तुम!” “बचपन से जानते हैं शायद इसीलिए” हँस कर अजिंक्य ने कहा।”

फलक थोड़ी उदास सी हो गई इस वक्त शायद वो खुद को बेबस महसूस कर रही थी। उसकी उदासी देख अजिंक्य ने कहा “चलो मान ली तुम्हारी बात, मैं यह घर अभी इसी वक्त छोड़ कर चला जाऊंगा लेकिन तुम्हें मेरे साथ एक गेम खेलनी होगी” 

फलक ने पूछा- “कैसी गेम?”

अजिंक्य -"world famous Truth and Dare! अगर तुम जीत गयी तो घर तुम्हारा... लेकिन अगर मैं जीत गया तो 8 महीनों के लिए मेरा।”

फलक ने बिना सोचे गेम खेलने के लिए तुरंत ‘हाँ’ कर दी और अजिंक्य से पूछा "तुम अपनी बात पर कायम रहोगे?” अजिंक्य ने जवाब दिया - “बिलकुल  अगर तुम जीत गयी तो।”

। अजिंक्य ने bottle spin की और वह फलक की तरफ आ कर रुक गई।

अजिंक्य - “क्या चुनना पसंद करोगी? आसान सच या कीमती घर के लिए daring dare!”

अजिंक्य ने जिस तरह यह बात कही वह समझ गई कि आसानी से नहीं बल्कि अब कुछ करके ही अजिंक्य का गुरुर तोड़ना होग, उसने कहा - “Dare!”

अजिंक्य ने चुनौती में उसे घर के पास आए हुए जंगल में 30 मिनट अकेले बिताने को कहा यह सुनकर फलक के होश उड़ गए, उसने पूछा- “क्या हुआ? हिम्मत नहीं है।"

निशा जानती थी कि फलक का डर वह सपना है जिसमें वह खुद को अकेला जंगल में देखती है इसीलिए उसने रोकते हुए कहा- “हाँ... हाँ... ठीक है, हमने हार मान ली... रह लो तुम यहाँ।

फलक तभी बोली - "नहीं मैंने हार नहीं मानी। मैं वहां जाऊंगी और इस चुनौती को पूरा करूंगी और फिर तुम Out!”

अजिंक्य ने कहा - “ठीक है as you say.”

फलक जंगल की तरफ जाने को रवाना हुई। जंगल फलक के घर से करीबन 15 से 20 मिनट की दूरी पर था और काफी घना भी जैसे कि यह घर शहर से दूर था तो रास्ते भी वीरान थे, सड़के भी रात को पूरी तरह से सुनसान और खाली थी। कॉलेज यहाँ से पास था इसलिए दिन में तो चहल पहल बनी रहती थी पर इस समय रात के 1:00 बज रहे थे और फलक डरते हुए ठंड से कांपते हुए रास्ते पर चलती जा रही थी। जब वीरान रास्तों से सामना हुआ तो फलक घबरा गयी पर उसने आगे बढ़ना बंद नहीं किया। वह झुकना नहीं जानती थी खास तौर पर तब जब वो सही हो। रास्ते में चलते चलते वह अपने आप से कहती जा रही थी “आज सिर्फ उसकी वजह से गुस्से में यह चुनौती ले ली, डर तो लग रहा है पर अब बात सिर्फ घर की नहीं, सबको बताना है कि मैं कोई डरपोक नहीं। इतना झूठ! अरे, इंसानियत नाम की कोई चीज़ ही नहीं है। इतनी रात को मुझे यहाँ भेज दिया” फलक के बड़बड़ाते बड़बड़ाते जंगल भी आ गया, वो डरते हुए धीरे-धीरे जंगल की ओर जाने लगी, पैरों के निचे जब पत्ते आ रहे थे तो धीमी सी आवाज़ भी गर्जना जैसी महसूस होने लगी। दूसरी तरफ फलक के घर में निशाबोहतचिंता में थी उसने अजिंक्य को गुस्से में कहा - “अगर मेरी दोस्त को तुम्हारी वजह से कुछ भी हुआ ना तो देख लेना मैं तुम्हें छोडूंगी नहीं! ऐसी भी कोई चुनौती देता है, रात को अकेले उसे उस भूतिया जंगल में भेज दिया।”

अजिंक्य ने कहा- “Oh Please! कोई छोटी बच्ची नहीं है वो। अपनी मर्जी से गई है और उसने खुद ही challenge accept किया...  मैंने नहीं कहा था।”

वीर -“हाँ यार! पर आधा घंटा होने वाला है अब तक वो पहुंच गई होगी, हमें भी वहां चलना चाहिए अगर मस्ती-मस्ती में कुछ हो गया तो?”

निशा ने वीर की बात से सहमत होते हुए कहा - “हाँ चलो, वैसे भी मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा।”

सभी दोस्त जंगल में जाने को सहमत हुए। अजिंक्य को पीछे रुका देख उसके दोस्त पवन ने चलने को कहा तो अजिंक्य ने जवाब दिया -“मैं change करके आता हूँ तुम लोग चलो।”

To be continued...


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