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Jyoti Negi

Romance

5.0  

Jyoti Negi

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कूरियर वाला प्यार

कूरियर वाला प्यार

2 mins
613


कल रघु का कूरियर मैंने रख कर लिया था। अब या तो वो ले जाता या आंटी से पूछ लेता कि कुछ सामान आया की नहीं। नेहा ने अपने गीले बाल पोंछते पोंछते कहा और तौलिया कुर्सी पर रख कूरियर उठा कर बाहर चल दी।

रघु और नेहा एक ही घर में किराये के अलग अलग कमरो में रहा करते थे। नेहा के साथ उसकी सहेली दिव्या भी रहती थी। नेहा ने कभी रघु से बात नहीं की थी बस कभी कभी बिजली के बिल और पानी के लिए दिव्या से बहस करते ही सुना था। रघु भी अपने एक मित्र के साथ रहता था जो ज्यादातर काम से बाहर ही रहता था। अक्सर नेहा उसे कानों में लीड लगाए ही देखती थी।सबकी नज़र में रघु एक खुश मिजाज़ लड़का था बहस करने में सबसे आगे रहता था पर दूसरों की मदद करने और सबको खुश रहने में भी पीछे नहीं हटता था। चलो खैर नेहा ने बाहर आकर रघु के कमरे की तरफ देखा उस पर ताला लगा हुआ था। नेहा को अजीब लगा क्यूंकि विद्या आंटी ने बताया था कि रघु पिछले १ साल में कभी अपने घर या किसी से मिलने नहीं गया था तो आज कहाँ चला गया ये नेहा ने मन ही मन सोचा। फिर उसने कूरियर का थैला वापिस आकर कमरे में रख दिया।

आज तीसरा दिन था रघु आज भी गायब था।

नेहा को मन ही मन उसकी फ़िक्र होने लगी थी। नेहा सुन "रघु का फ़ोन आया है तेरे लिए" दिव्या ने कहा। "रघु का वो भी मुझे" नेहा ने सोचा फिर फ़ोन दिव्या के हाथ से ले लिया। "हेलो" नेहा ने बोला रघु ने धीमी सी आवाज में कहा "क्या तुमने कूरियर खोला ?" नेहा हिचकिचाई "नहीं वो तो तुम्हारे नाम से आया था " तो रघु ने कहा क्या मैं अपना नाम तुम्हें दे सकता हूँ। नेहा को कुछ समझ नहीं आया उसने फ़ोन बिस्तर में रख कर पैकेट खोला उसमें वही ड्रेस थी जो नेहा कब से पास के भैया की दुकान में ये बोलकर रखवा के आयी थी की जब पैसे होंगे तो ले जाऊंगी तब रघु भी वही था और उसमें एक  पत्र भी था जिसमे लिखा था तुझे महलों में न रख पाऊं शायद, पर तेरी हर ख्वाहिश को अपनी ख्वाहिश से पहले रखूँगा। 

शाम आंटी ने बताया कि रघु का फ़ोन आया था की वह नाइट शिफ्ट कर रहा है कह रहा था उसे कुछ पैसों की जरुरत है तो आज भी नहीं आएगा तो कूरियर तू अपने पास रख ले। नेहा खुश भी थी और उसकी आँखों में आंसू भी थे। 


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