पहला प्यारअमिता दाश
पहला प्यारअमिता दाश
प्यार में पहला क्या दूसरा क्या। प्यार तो प्यार होता है।मुझे भी हुआ था।सबको जैसे लगता है आसमान छूने को मन ,वो सुहावनी रातें,वो बिताया एक,एक पल आज भी याद है।वो कसमें,वो वादे तोड़ कर आप चलेगए।आप आनेका वादा कियाथा।मुझे क्या पता था आपकभी न लोटने वाले वादे करके गए हो। मैं इंतजार करती रही।
रात बितता गया। चांदनी रात में घनघोर बादल छा गया।वापस घर लोटने वाली थी। बारिश शुरु हो गया। चांद काले बादल के अंदर छुप गया।एक अनजान भय मन में बैठ गया। मुझे क्या पत्ता था सात जन्म जिने मरने कसम खिनेवाला आज ओर किसी को पहला प्यार बनाने गया है। अंधेरा धरती पर सिर्फ नहीं आ गया। मेरे जीवन में भी कभी न मिटने वाली अंधेरा छा गया। अमावस्या की काली रात बनगया।
बरसात का फायदा उठाकर वो दरिंदा मेरा सबकुछ लूट लिया।वो कोन है क्या करता है कुछ पता नहीं था । शायद मुझे पीछा करके आया था। हमेशा के लिए पहला प्यार के इंतजार में वही स्थान पर रहगई अतृप्त आत्मा बनकर।तुम कभी नहीं पलट कर देखा।वापस भी इस जगह पर कभी नहीं आए। मैं कहुं पहला प्यार थी ही नहीं।तुम थे अपनी पत्नी के बांहों में। मैं इंतजार कर रही थी पहला प्यार का जो कभी इस जन्म में वापस नहीं मिलेगा। उस दिन अंधेरा के फायदा लेकर लुटिया मेरे अरमानों को कुचल दिया आकांक्षाओं को रोंद दिया। इस विजन में घूम रही हूं पहले प्यार के तलाश में कब मिलेगा।