चूहे ने काटा माउस को
चूहे ने काटा माउस को
एक था चूहा चुन्नू। बहुत शरारती। दिन-भर उछल-कूद मचाता रहता। सनी को परेशान करने में तो उसे बहुत मज़ा आता। सनी के पापा उसके लिये नयी-नयी किताबें लाते। चुन्नू उन्हें कुतर देता। कभी सनी के पेन और पेंसिल को मेज से नीचे गिरा देता तो कभी उसकी रबड़ उठा ले जाता।
परेशान सनी एक दिन चूहेदानी लेकर आया। उसके भीतर पनीर का छोटा टुकड़ा लटकाया और चूहेदानी के मुंह को स्प्रिंग से फंसा कर आराम से बैठ गया। सोचा आज चुन्नू से छुटकारा मिल जायेगा। चुन्नू को पनीर बहुत पसंद था लेकिन वह सनी की चालाकी समझ गया। उसने तय कर लिया कि वह पनीर ज़रूर खायेगा लेकिन चूहेदानी में नहीं फंसेगा। उसने बहुत सोचा, बहुत दिमाग लगाया मगर कोई तरकीब सोच न पाया।
धीरे-धीरे रात हो गयी। सनी सो गया मगर चुन्नू को पनीर खाये बिना नींद नहीं आ रही थी।अचानक उसे एक तरकीब सूझ गयी। उसने मेज़ पर चढ़ कर सनी का पेन उठाया। उसे लेकर चूहेदानी के पास आया। पेन को उल्टी तरफ से पकड़ कर उसके ढक्कन वाले हिस्से को चूहेदानी के भीतर डाला। जिस हुक के ऊपर पनीर टंगा था ढक्कन को उसके थोड़ा पीछे ले जाकर पेन को झटके से अपनी तरफ खींच लिया। अगले ही पल ढक्कन में लगी क्लिप के साथ पनीर का आधे से ज़्यादा
हिस्सा खिंच कर बाहर आ गया।
‘खटाक’! इसी के साथ तेज आवाज़ करता हुआ चूहेदानी का मुँह बंद हो गया। सनी की नींद टूट गयी। उसने चूहेदानी के बंद मुंह की तरफ देखा और फिर ताली बजा कर हंस पड़ा,‘‘मैं जीत गया, मैं जीत गया। चूहेराम को आज पकड़ लिया।’’
‘‘बच्चू, तुम नहीं मैं जीता’’ चुन्नू ने भी हंसते हुये ताली बजायी और पनीर को उठा कर पर्दे के पीछे छुप गया और आराम से पनीर को कुतर-कुतर कर खाने लगा ।
सनी ने बिस्तर से उतर कर चूहेदानी को उठाया। उसे उल्ट-पुलट कर देखा मगर वह खाली था। उसकी समझ में ही नहीं आ रहा था कि पनीर और चूहा दोनों कैसे गायब हो गये हैं। झुंझला कर उसने चूहेदानी को दूर फेंक दिया।
उस रात सनी को नींद नहीं आयी मगर चुन्नू खूब आराम से लंबी तान कर सोया। अगले दिन सनी ने चूहेदानी में फिर पनीर लटकाया मगर चुन्नू को पकड़ न पाया। वह आराम से पनीर निकाल कर खा गया।
धीरे-धीरे कई दिन बीत गये। चुन्नू की शरारतें बढ़ती जा रही थीं। सनी की समझ में नहीं आ रहा था कि उससे कैसे छुटकारा पाया जाये।
अचानक एक दिन उसका लैपटाप खराब हो गया। सनी परेशान हो उठा। पापा ने उसके लैपटाप की जांच की फिर बोले,‘‘कोई खास बात नहीं है। इसका टच-पैड खराब हो गया है। एक ‘माउस’ लगा दो लैपटाप काम करने लगेगा।’’
चुन्नू उस समय सनी के कमरे में ही टहल रहा था। यहां रहते-रहते वह थोड़ी-बहुत अंग्रेजी जान गया था। पापा की बात सुन वह घबरा गया। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि ‘माउस’ मतलब ‘चूहे’ को लगा देने से लैपटाप कैसे काम करने लगेगा? कहीं पापा उसे ही पकड़ कर लैपटाप में न लगा दें और फिर उसे दिन-रात काम करना पडे़। यह सोच वह अपनी दुम दबा कर वहां से भाग लिया।
सनी उसी दिन शाम को बाज़ार से एक ‘माउस’ खरीद लाया। उसके तार को लैपटाप से जोड़ कर उसने ‘माउस’ को क्लिक किया तो लैपटाप काम करने लगा। उसने खुशी-खुशी पापा को फोन मिलाया और हंसते हुये बोला,‘‘पापा, मैनें ‘माउस’ की पूंछ लैपटाप से बांध दी तो वह ठीक से काम करने लगा है।’’
‘‘तुम आराम से अपना काम करो। अब कोई दिक्कत नहीं होगी’’ पापा ने कहा।
सनी को स्कूल का एक प्रोजेक्ट बनाना था। वह लैपटाप पर काम करने लगा। बीच-बीच में वह अपने हाथ से ‘माउस’ को पकड़ कर क्लिक कर देता था। चून्नू परदे के पीछे से सनी पर नज़र रखे था। जब भी वह ‘माउस’ को पकड़ कर क्लिक करता सनी का कलेजा मुंह में आ जाता। उसे लगता कि सनी की इस हरकत से बेचारे ‘माउस’ को बहुत दर्द होता होगा। उसने अपने ‘माउस-भाई’ को सनी के चंगुल से आज़ाद करवाने का निश्चय कर लिया।
करीब दो घंटे काम करने के बाद सनी थक गया तो बिस्तर पर लेट गया। थोड़ी ही देर में उसे झपकी आ गयी। चुन्नू को इसी पल का इंतज़ार था। वह जल्दी से मेज पर चढ़ गया। लैपटाप के पास ‘माउस’ चुपचाप बैठा था।
चुन्नू ने उसे ध्यान से देखा फिर फुसफुसाते हुये बोला, ‘‘भाई, तुम्हारी पूंछ बहुत लंबी है। किस देश के रहने वाले हो?’’
‘माउस’ ने कोई उत्तर नहीं दिया तो चुन्नू ने उसे धीमे से हिलाते हुये पूछा,‘‘सो गये क्या?’’
‘माउस’ के शरीर में कोई हरकत नहीं हुयी तो चुन्नू ने उसे ध्यान से देखा फिर चौंक पड़ा,‘‘लगता है बेचारा बेहोश हो गया है। इसे पहले अपने घर ले चलना चाहिये।’’
उसने पूरी ताकत लगा कर ‘माउस’ को अपने कंधे पर टांगा और घर की ओर चल पड़ा। मगर ‘माउस’ की पूंछ तो लैपटाप से बंधी थी। चुन्नू को रूकना पड़ा। उसने लैपटाप को ध्यान से देखा मगर कोई गांठ नज़र नहीं आयी जिसे खोल सके। ‘माउस’ की पूंछ अजीबी-गरीब तरीके से लैपटाप के भीतर घुसी हूयी थी।
‘इसे खींच कर निकालना होगा’’ चुन्नू ने सोचा। उसने अपने नन्हें-नन्हें हाथों से ‘माउस’ के तार को पकड़ कर जोर से खींचा मगर पूंछ बाहर नहीं निकली। चुन्नू ने ज़ोर-ज़ोर से झटके दिये। अपनी पूरी ताकत लगा दी। पसीने-पसीने हो गया मगर ‘माउस’ की पूंछ बाहर न निकाल पाया।
अपनी असफलता पर चुन्नू का गुस्सा बढ़ता जा रहा था। उसने बिस्तर पर सो रहे सनी को घूर कर देखा फिर दांत पीसते हुये बोला,‘‘आज किसी तरह अपने इस परदेशी भाई की जान बचा लूं फिर तुमसे इस पर हुये जुल्म का बदला न लिया तो मेरा नाम चुन्नू नहीं। तुम्हारी एक-एक चीज़ को जब तक कुतर कर नहीं फेंक दूंगा मैं चैन से नहीं बैठूंगा।’’
बड़बड़ाते हुये चुन्नू ने दोबारा कोशिश की लेकिन ‘माउस’ की पूंछ को बाहर नहीं निकाल पाया। हार कर उसने सोचा कि अगर इसकी जान बचानी है तो इसकी पूंछ काटनी होगी। वह अपने नुकीले दांतो से ‘माउस’ के तार को काटने लगा। तार में बैटरी से निकला हुआ हल्का सा करंट दौड़ रहा था। नन्हें चुन्नू के लिये उतना ही काफी था।
‘‘आह....ऽ.....ऽ....’ अचानक चुन्नू को बिजली का झटका लगा और उसके सारे दांत हिल गये। झटका बहुत तेज था। चुन्नू को लगा जैसे जान निकल जायेगी।
‘मैं तो इसकी जान बचाना चाह रहा था और यह मेरी ही जान ले लेना चाहता है’ चुन्नू ने ‘माउस’ को घूर कर देखा और फिर गिरते-पड़ते वहां से भाग लिया। उसे पक्का विश्वाश हो गया था कि सनी ने उसे मारने के लिये ही इस विदेशी चूहे को बुलाया है। उस दिन के बाद से उसकी दोबारा कभी सनी के कमरे में झांकने की हिम्मत नहीं हुयी।