बाल कहानी- किस्मत की आवाज.

बाल कहानी- किस्मत की आवाज.

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  एक था लाला। पूरा कंजूस और मक्खीचूस । लाला के गाँव में होली बहुत धूम-धाम से मनायी जाती थी। बच्चे गाँव भर से चंदा जमा कर चैपाल के सामने होलिका सजाते थे । लाला कभी एक पैसा चंदा नहीं देता लेकिन होली तापने सबसे पहले पहुँच जाता था।

 पिछले साल कुछ बच्चे उसके घर चंदा मांगने पहुंच गये तो लाला ने उन्हें एक कोठरी में बंद कर दिया । बहुत रोने-धोने पर उन्हें घंटे बाद छोड़ा था। इससे गाँव के बच्चे लाला से बहुत ताव खाये हुये थ।

  एक सप्ताह बाद होली थी । उसका कार्यक्रम तय करने के लिये आज गाँव के बच्चे चौपाल में जमा हुये।

   ‘‘यह कंजूस लाला चंदा कभी नहीं देता है लेकिन अकड़ बहुत दिखाता है। इसका कोई उपाय सोचना होगा ’’ रमेश ने मुठियाँ भींचतें हुये कहा। पिछले साल लाला ने उसे भी कोठरी में बंद किया था। 

‘‘चिंता मत करो । इस बार लाला जी खुद चल कर चंदा देने आयेगें ’’ गोपाल ने मुस्कराते हुये कहा और फिर अपनी योजना सबको समझाने लगा ।

उस रात जब लाला खर्राटे लेकर कर सो रहा था तब कुछ आहट पा कर उसकी आँख खुल गयी । अंधेरे में कुछ दिखायी नहीं पड़ रहा था । तभी एक घरघराती हुयी आवाज सुनायी पड़ी,‘‘लाला, तुम्हारे उपर धन की बरसात होने वाली है । उठो और कान पकड़ कर पांच बार उठक-बैठक लगाओ । उसके बाद तुम्हें अपने दरवाजे पर सौ का नोट पड़ा मिलेगा ।

लाला ने चौंक कर इधर-उधर देखा। बगल में उसकी बीबी घोड़े बेच कर सो रही थी। उसके अलावा कमरे में और कोई न था । लाला को लगा कि शायद उसने सपने में यह आवाज सुनी थी। अतः चुपचाप आँख बंद कर लेट गया।

  थोड़ी देर बाद वही घरघराती हुयी आवाज फिर सुनायी दी,‘‘ लाला, मैं तुम्हारी किस्मत हूँ । अगर मेरा कहना मानोेगे तो प्रतिदिन तुम्हारा ईनाम बढ़ता रहेगा और जल्दी ही तुम्हें लाखो रूपये मिल जायेगें । अगर तुम मेरा कहना नहीं मानोगे तो तुम्हारा सब कुछ बर्बाद हो जायेगा ।’’

  लाला लालच में आ गया । सोचा बंद कमरे में उठक-बैठक लगाने में कोई बुराई नहीं है। उसने कान पकड़ कर उठक-बैठक लगायी और फिर दरवाजा खोल कर देखा। सामने ही 100 का नया नोट चमचमा रहा था । उसने नोट को उठा कर चूम लिया।

    अगली रात लाला को फिर वही घररघराती हुयी आवाज सुनायी पड़ी,‘‘लाला, सुबह 4 बजे मंदिर के बाहर खड़े हो कर अपने गाल पर जोर-जोर से 5 तमाचे मारना । उसके बाद घर लौटोगे तो तुम्हें 200 रूपये मिलेगे। याद रखना इसी तरह तुम्हारा ईनाम बढ़ते-बढ़ते लाखों रूपये का हो जायेगा ।’’

लाला को किस्मत की आवाज पर पूरा भरोसा हो चुका था । उसने सोचा कि सुबह के 4 बजे गाँव वाले सो रहे होंगें। इसलिये उसे अपने को झापड़ मारते कोई देख नहीं पायेगा। चार बजे उसने मंदिर पहुंच कर खींच-खींच कर अपने 5 तमाचे मारे और फिर घर की ओर दौड़ पड़ा। दरवाजे पर ही सौ-सौ के दो नोट उसका इंतजार कर रहे थे । लाला की बांछे खिल उठीं ।

    अगली रात लाला को चौपाल में मुर्गा बनने पर 300 रूपये और उसकी अगली रात स्कूल के सामने कुत्ते की तरह भौंकने पर 400 रूपये मिले। अब तो लाला की पांचो उंगलियां घी में थी। उसे पूरा विश्वास था कि जल्द की उसे लाखों रूपये मिलने वाले हैं ।

      अगली रात लाला को किस्तमत की आवाज फिर सुनायी पड़ी,‘‘लाला, परसों होली है । अगर कल तुम गाँव के बच्चों को 5000 रूपये चंदा दे दो तो होली की रात तुम्हें 5 लाख का बम्बर ईनाम मिलेगा । ’’

   लाला को अब तक किस्मत की आवाज पर पूरा विश्वास हो चुका था । अगले दिन वह 5000 की गड्डी लेकर बच्चों के पास पहुंचा ।

  ‘‘न, लाला जी, न। हम आपसे चंदा नहीं ले सकते ’’ गोपाल रूपयों की गड्डी देख कर यूँ उछला जैसे सांप देख लिया हो।

    ‘‘बेटा, मुझसे चंदा क्यों नहीं लोगे ?’’ लाला ने थूक निगलते हुये पूछा । उसे अपना कलेजा बैठता हुआ महसूस हुआ।

           ‘‘क्योंकि जो आपसे चंदा मांगता है उसे आप कोठरी में बंद कर देते हैं । हमें दोबारा नहीं बंद होना है आपकी कोठरी में ’’ रमेश ने कहा और सारे बच्चे वहां से उठ कर चल दिया ।

     ‘‘अरे, बेटा रूको-रूको । मेरी बात तो सुनो ’’ लाला अपनी धोती संभालते हुये बच्चों के पीछे-पीछे दौड़ा ।

        उसने बच्चों की बहुत खुशामद की तब वे इस शर्त पर राजी हुये कि लाला को पिछले साल के बकाया चंदे के रूप में भी 1000 रूपये देना होगा । मरता क्या न करता । लाला को हामी भरनी पड़ी । बच्चों ने उन रूपयों से होलिका को दुल्हन की तरह सजा दिया ।

       उस रात दो बजे लाला को फिर वही घरघराती हुयी आवाज सुनायी पड़ी,‘‘शाबाश लाला, तुमने बहुत अच्छा काम किया है । अब थोड़ी ही देर में तुमको 5 लाख का ईनाम मिलने वाला है । उठो और केवल एक लंगोटी पहन कर नाचते हुये चौपाल तक जाओ और होलिका की परिक्रमा कर लौट आओ । उसके बाद तुम्हारी किस्मत बदल जायेगी ।’’

      इतनी रात में होलिका के पास कोई नहीं होगा । लाला ने फौरन अपने कपड़े उतारे और केवल एक लंगोटी पहन नाचते हुये होलिका की ओर चल दिया । इस समय अगर कोई उसे देख लेता तो हंसते-हंसते पागल हो जाता । ऐसा लग रहा था जैसे कोई नंग-धडंग डायनासोर लंगोटी पहन कर उछल कूद रहा हो । 

  होलिका की परिक्रमा करने के बाद लाला अपने घर की ओर दौड़ पड़ा । दरवाजे पर ही एक बैग रखा हुआ था । लाला की आखें चमक उठीं । उसने जल्दी से बैग खोला । उसमें एक पत्र और एक लिफाफा रखा हुआ था । लाला ने पत्र पढ़ना शुरू किया ।

                              

 आ0लाला जी,

                                                सदा प्रसन्न रहें । इस लिफाफे में 5 फोटो रखी हुयी हैं । इन्हें आप एक-एक लाख रूपये का चेक समझिये । अभी भी वक्त है सुधर जाईये और गाँव वालों को लूटना बंद कर दीजये वरना मैं इन चेकों को कैश करवा दूँगा । मेरा मतलब है कि इनके बड़े-बड़े प्रिंट निकलवा कर आस-पास के गांवो और आपकी सभी रिश्तेदारियों में बंटवा दूंगा । अगर आपका व्यवहार अच्छा रहा तो मैं वादा करता हूं कि फोटुओं का राज हमेशा मेरे सीने में दफन रहेगा ।

                                                                                                             आपका शुभचिन्तक’’                                  

                                               

लाला ने धड़कते दिल से लिफाफे को खोला। उसमें रखी फोटुओं को देख उसका कलेजा मुँह को आ गया । किसी फोटो में वह मुर्गा बना हुआ था तो किसी में अपने झापड़ मार रहा था । किसी में कान पकड़ कर उठक-बैठक लगा रहा था तो किसी में वह कुत्ते की तरह भौंक रहा था । आखिरी फोटो में लिखा था कृपया पीछे देखिये ।

  लाला ने कांपते हाथों से फोटो पीछे पल्टा। उस पर लिखा था ‘लाला जी, आज आपने गाँव की गलियों में जो कैबरे डांस किया है उसकी फोटो कल तक आ जायेगीं । मैं जिस पाईप को लगा कर आपके कमरे में आकाशवाणी किया करता था वह आपके घर के पिछवाड़े में पड़ा हुआ है । आप चाहें तो तब तक उससे अपना दिल बहला सकते हैं ।’’

                               लाला को काटो तो खून नहीं। वह समझ गया कि बच्चों ने उससे हिसाब बराबर कर लिया है। डर के कारण उस दिन से लाला का व्यवहार बदल गया। शाम को उसने गाँव वालों को बुला कर गुझियां खिलायीं और लोगों को ठगना छोड़ दिया ।

                               गोपाल और उसके साथियों ने भी अपना वादा निभाया और लाला के राज को हमेशा राज ही रखा ।

                                                                                               .....


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