Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Anita Koiri

Tragedy

4  

Anita Koiri

Tragedy

बच्चे और प्यार

बच्चे और प्यार

5 mins
411


बच्चे हैं , नहीं समझेंगे।

बच्चे हैं, छोड़ दो।

बच्चे हैं, रहने दो।

ये अमूमन सुने जाने वाले ऐसे वाक्य हैं जो कि साधारण लगते हैं, परन्तु साधारण है नहीं।

बच्चे , हमारे आपके सभी के घरों में होते हैं, बच्चे बड़े ही प्यारे होते हैं। बच्चों से ही तो घर की रौनक होती हैं। बच्चे , अपने हो या पराए मगर प्यारे लगते हैं।

बच्चे और प्यार दोनों शब्द एक दूसरे के साथ-साथ ही चलतें है। कोई भी देखें , बच्चों को पुचकार देते हैं, उनके गालों को चूम लेते हैं, गोदी में बैठा लिया जाता है।

उपरोक्त बातें तो अति साधारण है, इनमें किसी प्रकार की कोई अतिशयोक्ति नहीं। ऐसी घटनाएं तो आपके और मेरे बचपन में बहुत हुई हैं, और हमारे बच्चों के साथ भी रोज होती हैं।

मीना , मेरी बचपन की सहेली है। हम दोनों की शादी साथ-साथ ही हुई थी। वो बस मेरे घर से आधे घंटे की दूरी पर ही रहती हैं। मेरे घर के त्योहार में वो मेरी मदद करने आती थी और उसके घर के त्योहार में मैं कभी कबार जाया करती थी।मीना की एक प्यारी सी बेटी थी, गुंजा । गुंजा मेरे पास पढ़ने आती थी। मेरे पास कई बच्चे पढ़ने आते थे। बच्चों के साथ उनके माता-पिता और दादा-दादी भी आया करते थे। कभी बच्चों को छोड़ने तो कभी उन्हें घर वापस ले जाने।

गुंजा अपनी मां मीना के साथ आया करती थी। वो प्यारी सी बच्ची थी, जितनी प्यारी उतनी ही होशियार। अपने कोचिंग के सभी बच्चों से ज्यादा मेधावी और बहुमुखी प्रतिभा थी , गुंजा की। गुंजा नाचती, गाती, स्विमिंग सीखती, ड्राइंग सीखती थी। गुंजा न केवल ये सब सीखती बल्कि वो हर एक प्रतियोगिता में नंबर वन रैंक हासिल करती। मीना , अपनी बेटी को देख फूली न समाती। मीना अपनी बेटी को अपने साथ ही लेकर स्कूल आतीं, कोचिंग भी अपने साथ ले आती-जाती थी।

मिस्टर शर्मा, एक रिटायर्ड विधुर फौजी थे। इनकी पोस्टिंग पहले इटावा में थी, अब रिटायर होने के बाद वो इसी शहर में अपने परिवार के पास आ चुके हैं।

मिस्टर शर्मा, अपने पोते विशाल को लेकर अब स्कूल और कोचिंग सेंटर ले आते और ले जाते हैं। मिस्टर शर्मा का पोता विशाल बहुत ही भावुक बच्चा था, वो पढ़ने लिखने में बिल्कुल रूचि नहीं लेता था।कई बार विशाल को मिस्टर शर्मा ने मेरे ही सामने थप्पड़ जड़ा है। मैंने मिस्टर शर्मा को कितनी ही बार समझाया कि, हर एक बच्चा एक समान नहीं होता ।

मीना के घर में उसके सास - ससुर नहीं थे। वो कभी - कभी मिस्टर शर्मा को , अपने हाथों का बनाया खाना भी खिलाया करती थी। मिस्टर शर्मा से वो बहुत बातें भी करती थी। मिस्टर शर्मा से वो घुल - मिल चुकी थी। मिस्टर शर्मा का घर मीना के घर से दस मिनट की दूरी पर ही था, इसलिए कभी-कभी वो मीना के घर आ जाया करते थे।

मीना दुबारा प्रेगनेंट हो चुकी थी। मीना को डाॅक्टर ने बेडरेस्ट के लिए कहा था। अब वो घर पर ही रहती थी।अब मीना की बेटी गुंजा को मिस्टर शर्मा कोचिंग सेंटर छोड़ने और लेने आते थे।मीना अब आराम से घर पर ही रहती थी। अब स्कूल में ठंड की छुट्टी शुरू हो चुकी थी। गुंजा , मिस्टर शर्मा के घर में खेलने - कुदने भी जाया करती थी।आज बड़ी देर हो रही थी, गुंजा अब तक घर नहीं लौटी थी। मीना ने मुझे फोन किया। मुझसे , गुंजा के घर न पहुंचने की बात बताई।मैं तो शाम सात बजे छुट्टी दे चुकी थी।

मैंने कहा कि "तुमने कहा था कि मिस्टर शर्मा के साथ भेज दो। मैंने गुंजा को उनके साथ भेज दिया।".

"तुम मिस्टर शर्मा को फोन करके पूछो।"

मीना बोली "उनका फोन नहीं लग रहा"इतना कहकर फोन कट गया।उस शाम के बाद से गुंजा बहुत बीमार रहने लगी। बेचारी ने खाना पीना सब कुछ बंद कर दिया।वो सिर्फ चुपचाप उदास बैठी रहती और बीच-बीच में जोर से रोना शुरू कर देती। रात को सोते - सोते कांपने लग जाती।मीना ने उसे डाॅक्टर को दिखाया, लेकिन वो ठीक नहीं हो रही थी।मीना उस दिन गुंजा को लेकर मेरे घर बहुत दिनों बाद आई। उसने मुझे सारी बातें बताई।मीना ने मुझे मिस्टर शर्मा के बारे में पूछा, मैंने कहा "वो तो गांव लौट चुके हैं, अब विशाल अपनी मां के साथ पढ़ने आता है।"

मीना ने कहा " तुम थोड़ा गुंजा को समझाओं, देखो शायद तुम्हें कुछ बता दें।"

मैंने पढ़ाते हुए, गुंजा के हाव-भाव में अनेकों परिवर्तन महसूस किए।सारे बच्चों को छुट्टी देने के बाद ।मैं गुंजा को अपनी स्कुटी पर बिठा कर पार्क ले गई। पार्क में उसे एक आइसक्रीम दिलाई और उसे झुले पर बिठाया।मैंने उससे कई सवाल पूछे ,

"बेटा आपकी तबीयत ठीक तो हैं?

गुंजा बोली "हां"

मैंने बोला " अपने वो जोड़ वाला सवाल ग़लत क्यों बनाया।"

गुंजा बोली " नहीं , मैंने सही बनाया था।"

मैंने पूछा, " विशाल से मिलने चलोगी?"

गुंजा चुप हो गई।

मैंने फिर पूछा" मिस्टर शर्मा से मिलने चलोगी?"गुंजा कुछ नहीं बोली, जोर से रोना शुरू कर दिया।

मैंने कहा "रोओ मत", "उस दिन क्या हुआ था?"गुंजा थोड़ी देर तक रोई फिर बोली "नहीं बताउंगी"मैंने कहा "बताओ, मैं किसी को नहीं बताउंगी"

गुंजा बोली "वो मुझे मार देगा"

मैंने कहा " कौन मारेगा, मुझे बताओ, और तुम्हे क्यों मारेगा?"

गुंजा रोते हुए मुझसे लिपट गई और बोली " वो विशाल के दादा जी ने उस दिन मेरी फ्राॅक खोल दी थी और अपनी छत पर ले गए थे, और बोला कि कि...तुम्हे मार दुंगा।"

मैंने किसी तरह गुंजा को चुप कराया और उसे मीना के पास देकर आ गई।ये सारी बातें मैंने मीना को फोन पर बताया।मैंने विशाल की मां को भी ये बातें बताई और विशाल से भी सबकुछ पूछा ।



Rate this content
Log in

More hindi story from Anita Koiri

Similar hindi story from Tragedy