छल
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समीना बुलंदशहर के एक मध्यमवर्गीय परिवार की लड़की थी। सात बहनों में समीना पांचवें नंबर की थी और वाक पटु होने के कारण अपने माँ बाप की लाड़ली भी। समीना का बचपन मुस्लिम से ज्यादा हिंदू लड़कियों के बीच में बीता था। रजनी उसकी सबसे प्यारी सहेली थी। समीना और रजनी की दोस्ती इतनी गहरी थी कि वे अपना हर राज एक दूसरे को बताती थीं। दोनों लड़कियां अभी अपने यौवन की दहलीज पर कदम रखने जा रही थीं। अब लड़कों की बातें उन्हें ज्यादा ही आकर्षित करने लगीं थीं। दोनों जब भी मिलती अपनी अपनी कहानियां एक दूसरे को सुनाती।
समीना अपने दूर के रिश्तेदार अकरम को मन ही मन पसंद करती थी और ये बात उसने रजनी को भी बताई थी। इधर रजनी की नजदीकियां समीना के मामा अब्दुल के साथ तेजी से बढ़ रही थीं। जब ये बात रजनी ने समीना को बताई तो समीना ने उसे अपने लम्पट मामा से दूर रहने की सख्त हिदायत दी। अकरम एक निहायत ही आवारा किस्म का लड़का था जो अभी तक कितनी ही मासूम लड़कियों की जिंदगी बर्बाद कर चुका था। हद तो तब हो गई जब एक दिन समीना ने अपनी दोस्त रजनी को अकरम की बाँहों में देख लिया। समीना को यह हरकत बिल्कुल अच्छी नहीं लगी और गुस्से में आकर उसने रजनी की माँ को सारी बात बता दी। उस रात रजनी को घर पर बहुत मार पड़ी और शायद ये उन दोनों की दोस्ती का आखिरी दिन था।
इधर जब समीना के धूर्त्त मामा को ये बात पता चली तो वह मानो खून का घूंट पीकर रह गया। अब वह समीना को किसी भी तरह से सबक सिखाना चाहता था। एक आखिर एक दिन उसे ये मौका भी मिल ही गया। माँ बूढ़ी और बीमार मौसी को देखने दूसरे गांव गई हुई थी और घर में कोई नहीं था। अकरम ने मौका पाकर समीना को कोल्डड्रिंक पिला दी। सुबह जब वह उठी तो उसे सर भारी भारी सा लगा। समीना कुछ भी समझ नहीं पा रही थी। तभी शर्ट के बटन बंद करता अकरम बोला एक दिन तुमने मुझे मेरे प्यार से दूर किया था। आज मैंने उसका बदला ले लिया है और यह कहकर अकरम ने अपने मोबाइल से समीना की कुछ तस्वीरें दिखाई। समीना को तो मानो काटो तो खून नहीं। वह समझ ही नहीं पा रही थी कि उसका सगा मामा उसके साथ ऐसी गिरी हुई हरकत कर सकता है। उस दिन वह छुप छुप कर कई बार रोई।
इधर अकरम ने उसे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। समय समय पर अब वह समीना से रूपयों और मंहगे महंगे गिफ्ट की मांग करने लगा। इधर अकरम ने अब्दुल के घर वालों को भी भड़का दिया और उसकी शादी तुड़वा दी। समीना तो मानो टूट ही चुकी थी और वह अकरम की हर मांग को न चाहते हुए भी पूरा करती, भले ही इसके लिए उसे चोरी ही क्यों न करनी पड़े। एक दिन अकरम ने उससे वुडलैंड के जूतों की मांग की। समीना के पास देने को कुछ नहीं बचा था। उसने सिसकते हुए अपने दूर के भाई को फोन मिलाया। इससे पहले भी समीना अपने भाई से कई बार पैसे मांग चुकी थी और इसलिए उसने फोन रमेश को पकड़ा दिया। समीना समझ गई कि भाई जानबूझ कर ऐसा कर रहा है। इधर समीना को फोन पर रोते सुनकर रमेश ने उसे चुप होने को कहा।
इधर रमेश ने कुछ देर बाद समीना को फिर से फोन मिलाया और एक जगह मिलने को कहा। रमेश तीन हजार रुपए लेकर यथास्थान पर पहुंच चुका था। कुछ देर में समीना भी वहीं पहुंच गई और जैसे ही रमेश ने पैसे उसके हाथ में पकड़ाए वह फफक-फफक कर रो पड़ी। रमेश ने धीरे से उसे अपने सीने से लगा लिया और उससे रोने का कारण पूछने लगा। समीना ने कुछ ही पलों में अपनी जिंदगी के सारे पन्ने उसके सामने खोल कर रख दिए। रमेश ने उसे आश्वासन दिया कि अब वह हमेशा उसकी मदद करेगा। समीना को लगा कि शायद आज भी अच्छे लोग समाज में मौजूद हैं।
अब वे दोनों अक्सर
मिलने लगे। मौका पाकर रमेश ने अपने दिल की बात समीना से कह डाली। समीना इस कदर टूटी हुई थी कि उसके लिए प्यार व्यार के बारे में सोचने का समय ही नहीं था। वह कुछ नहीं बोली बस रोती रही। इधर मामा अकरम ने समीना के घर वालों को भड़का दिया कि वो एक हिंदू लड़के के प्यार में पड़ गई है। समीना के पिता यह सुनकर आग बबूला हो उठे। उन्होंने अकरम से कहा लड़की हाथ से निकल चुकी है इसे कहीं दूर ले जाकर गोली मार दो। समीना ये सब सुन चुकी थी। सुबह मामा समीना को ग्वालियर ले जाने वाला था। समीना ने रमेश को रात में ही फोन किया और पूछा क्या तुम मुझसे शादी करना चाहते हो। रमेश को तो जैसे मुंह मांगी मुराद मिल गई। उसने फौरन हाँ कर दी और रात को ही ग्वालियर के लिए रवाना हो गया। इधर समीना भी ग्वालियर पहुंच कर मामा को बेवकूफ बना कर रफूचक्कर हो गई। एक मंदिर में पहुंच कर दोनों ने शादी कर ली। इस समय रमेश के दो मित्र भी उसके साथ थे।
शादी के बाद दोनों दो महीने तक कभी दिल्ली, कभी चंडीगढ़ जैसी जगहों पर घूमते रहे लेकिन अब पैसे खत्म हो रहे थे। उधर समीना के घर वालों ने रमेश पर लड़की भगाने का आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज करा दिया था। अब दोनों छुपते छुपाते घूम रहे थे। इस बीच समीना का एक्सीडेंट हो गया और वह जिंदगी और मौत से जूझती अस्पताल में भर्ती कराई गई। दो दिन रमेश उसके साथ अस्पताल में रहा। इसी बीच दोनों परिवार अपने बच्चों को खोजते हुए अस्पताल आ पहुंचे। समीना जब मौत से जूझ रही थी तभी उसकी जिंदगी का सौदा हो चुका था। रमेश के घर वालों ने सात लाख रुपए समीना के चाचाओं को देकर समीना से पीछा छुड़ाया और अपने लड़के को साथ लेकर चले गए। जब समीना को होश आया तो रमेश वहां नहीं था।
समीना के चाचा ने उसे घर चलने को बोला लेकिन रमेश को अपना जीवन साथी मान चुकी समीना ने साथ जाने से साफ मना कर दिया। यह देखकर वे भी उसे वहीं छोड़कर चलते बने। किसी तरह ठीक होने पर समीना ने रमेश की खोजबीन शुरू की। वह आगरा स्थित उसके गांव भी गई लेकिन रमेश के परिवार वालों ने उल्टे पुलिस बुलाकर उसे वहां से भगा दिया। समीना अब केवल एक बार रमेश से मिलना चाहती थी। वह रमेश से उसकी इस बेरुखी का कारण पूछना चाहती थी लेकिन रमेश को तो जैसे ब्रह्म ज्ञान हो चुका था। उसने समीना से मिलने से साफ मना कर दिया। कुछ समय बाद समीना को पता चला कि रमेश कानपुर के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से एम टेक कर रहा है। वह सीधे कालेज पहुंच गई और सभी के सामने रमेश से हकीकत बताने को कहा। लेकिन रमेश ने साफ मना कर दिया। समीना अब रोज कालेज जाने लगी और बाहर खड़े होकर रमेश का इंतजार करती कि शायद एक दिन रमेश उसके पास आए। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। एक दिन बंटी और रोहन उसके पास आए और बोले हम रमेश से तुम्हारी बात करा सकते हैं लेकिन इसके लिए तुम्हें हमारे कमरे पर चलना होगा। समीना सहर्ष तैयार हो गई। जब वह कमरे पर पहुंची तो रमेश वहां पहले से मौजूद था। समीना यह देखकर खुशी रमेश के सीने से लिपट गई। भावावेष में दोनों ने वो सब किया जो एक पति पत्नी के बीच होना चाहिए। कुछ देर बाद बंटी और रोहन कमरे के अंदर आ गए और बोले हमने तुम्हारी फिल्म बना ली है। अब जैसा हम चाहते हैं वैसा करो। समीना को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। रमेश ने इज्जत की दुहाई देते हुए कहा कि समीना इनका कहना मान लो। समीना ने बिना कुछ सोचे-समझे रमेश की बात मान ली। कुछ समय बाद जब समीना बिस्तर पर निढाल पड़ी हुई थी तो रमेश वहां पहुंचा और बोला कि इसकी भी फिल्म बन चुकी है। अब खैरियत चाहती हो तो दुबारा दिखाई मत पड़ना और भूल जाओ कि मैं कभी तुम्हारा पति था। बंटी और रोहन दूर खड़े मुस्कुरा रहे थे।समीना नम आँखों से बस एक टक रमेश को देख रही थी। वह एक बार फिर छली जा चुकी थी।