कुंवारी माँ
कुंवारी माँ
" प्यारे बच्चों, सेहतमंद खाना खाकर हम स्वस्थ रहेंगे तथा हमारे शरीर और मस्तिष्क का पूर्ण विकास होगा। जंकफूड हमें बीमार कर देते है इसलिए आज से जंकफूड बंद। आज से आप हेल्दी, न्यूट्रीशियन से भरपूर खाना खाएगें। दूध पीएं और फ्रूट खाएं...." बच्चों को उनके खान- पान के बारे में बताते हुए डायटिशियन चित्रा ने कहा।
"अच्छा बताओ तो कौन - कौन फ्रूट नहीं खाता।"
पहली पंक्ति में बैठे दुबले - पतले अंकुर ने तुरंत हाथ ऊपर किया।
"आप फ्रूट नहीं खाते" चित्रा ने पूछा।
"मम्मी लाती ही नहीं ", बच्चे ने हिचकिचाते हुए कहा।" जब भी मांगता हूँ कहती है जब खुद कमाओ, तब खाना।"
"दीदी, ये अंकित है। ग़रीब घर से है....वैसे ये पढ़ाई में काफी होशियार है। सही देखभाल मिले तो लड़का आगे निकल सकता है " कहते हुए रेखा मैडम ने बच्चे को बैठने का इशारा किया।
अच्छा...,चित्रा ने चिंतन की मुद्रा में आ गई थी।
" मैडम आज से इस बच्चे का सारा खर्च मैं उठाऊँगी...। इसकी फ़ीस, किताबें, फल, सब मेरी ओर से...कहते हुए चित्रा ने अपनी गीली आँखें पोंछ ली।" उसको अपना बचपन याद आ गया था।
"आप इसे गोद लेना चहाती है " मैडम ने पूछा।
" हाँ ,आप यही समझ लें.. आज से मैं इसकी माँ..." कहते हुए चित्रा हँसी।
"आपकी हँसी का कारण " मैडम ने पूछा।
"अभी तो मेरी सिर्फ सगाई हुई है और मैं माँ बन गई। आज अपने मंगेतर को बताऊँगी कि मैं कुंवारी माँ बन गई तो देखती हूँ क्या रियेक्शन आता है " , सोचकर मुझे हँसी आ गई" चित्रा ने जवाब दिया।
"जरा संभल कर..." रेखा ने आशंकित होते हुए कहा।
"आप चिंता न करें ....बस मुझे अंकित की डीटेल भेज दें " कहते हुए चित्रा क्लास रूम से बाहर निकल गई।