खुश रहो
खुश रहो
खुश रहो.... देखो जिंदगी की आंखो में आंखे फाड़ कर, कुटिल मुस्कान के साथ, बोलो - क्या उखाड़ लोगे।
क्या हुआ जो 56 प्रतिशत अंक आए बारहवी में,
फिर क्या हुआ जो आईआईटी के ख्वाब किसी " यूहीं" इंजीनियरिंग कॉलेज की कैंटीन के बाहर गोल्ड फ्लेक के धुएं में उड़ा दिए हों।
फिर क्या हुआ जो फर्स्ट सेमेस्टर में 6 में से बस 3 विषयों में ही पास हो , पार्टी तो उसके बाद भी की थी ना !!!!
क्या हुआ जो आखरी सेमेस्टर के वक़्त कैंपस प्लेसमेंट के वक़्त टीसीएस की इंटरव्यू के लिए एलिजिबल ही ना हो, क्युकी बैंक पेपर्स की एक लंबी लिस्ट थी हाथ में।
क्या हुआ जो , पुराने प्यार वाला सियाप्पा तुम्हे तोड़ चुका हो।और कॉलेज के दिनों वाली क्रश किसी टौम क्रूष के साथ गिटार की धुन पर झूमती नजर आए.. लेकिन एक बार मुस्कुराई भी थी ना तुम्हारी बात सुनकर !!!!!
क्या हुआ जो दोस्त और दोस्ती बस " कॉलेज, फिल्म और किताबो" में ही दिखते हों।
क्या हुआ जो पहली बार रोटी सेंकी थी तब कंफ्यूज थे कि भूटान का नक्शा है, या बांग्लादेश का नक्शा।
अब तो बेलन हाथ में लेकर रोटी को ऐसे गोल गोल घुमाकर बेल लेते हो। सटीक, एकदम चांद सा।
अब,अब,
अब जब लिखता हूं तो ऑफिस वाले वॉचमैन चाचा भी एकदम बिहारी स्टाइल में तारीफ करते हैं, " का हो , गर्दा लिखे हो बे " । माना किसी स्टेज पर नहीं, लेकिन तालियां बजती है, 2-4 ही सही।
मुस्कुरा रहा हूं, कुटिल मुस्कान, जिंदगी की आंखों में आंखें डालकर, आप भी मुस्कुराइए।