मुझे छोड़ दो मेरे हाल पर
मुझे छोड़ दो मेरे हाल पर
हाँ जीऊँगी
हाँ उठूँगी
खींचों जितने पाँव
रगड़ते हुए अपने शरीर को फ़र्श पर
बदतर से बदतर हालातों में,
आगे बढूँगी।
आँखें तरेरे,
चेहरे पर शिकन लिए,
गुस्से से उबलते,
हाथ पाँव पटकते,
तुम रहो।
मैं न देखूँगी
तुम्हारी तरफ़
एक नज़र भी।
न लाऊँगी तुम्हारा ख्याल दिल पर,
क्योंकि इसके मायने से,
मैं कुछ भी नहीं।
मैं जो चाहूँगी वो करुँगी,
खुली हवा में साँस लूँगी,
आज़ादी का दामन थामे उडूँगी।
कहो जो भी,
करो जो भी,
जब तक जीऊँगी
मैं बनकर जीऊँगी।
कैद करने की मंशा छोड़ दो,
खत्म हो जाओगे खुद,
खत्म करने की चाहत में ,
खत्म लोग होते हैं जज़्बे नहीं,
बुझते दीपक हैं, सूरज नहीं।
अपनी खैर मनाओ,
मुझसे टकराओ मत,
टूट जाओगे,
मैं जैसी हूँ रहने दो।
मुझे छोड़ दो मेरे हाल पर।
मुझे छोड़ दो मेरे हाल पर।।