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कीर्ति जायसवाल

Inspirational

5.0  

कीर्ति जायसवाल

Inspirational

सकारात्मक पथ

सकारात्मक पथ

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प्रसरित हो वह सूर्य-लालिमा;

रजनी-चंद्रिका प्रसरित हो।

शुष्क पड़ा; जन हो उद्विग्न;

बाढ़ लहर लहराई हो।


तप्त करे यह सूर्य की ऊष्मा;

हिम-वृष्टि नहलाई हो।

क्या ऐसा भी हो सकता !

‘पतझड़ ऋतु में हरियाली हो।’


है जग में कुछ भी न असंभव,

विजय का दूजा नाम ही संभव।

आए अर्क जो अमेरिका में;

आए देश में चंद्रिका।


शुष्क पड़ी भूखंड हो ‘बांदा’;

बाढ़ यहाँ पर आई हो।

च्युत तुषार तो जम्मू में;

लू राजस्थान में आई हो।


किसी देश में पतझड़ हो तो,

किसी देश में हरियाली।

विजय का दूजा नाम ही ‘संभव’,

सकारात्मक पथ चुन ले।।




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