सकारात्मक पथ
सकारात्मक पथ
प्रसरित हो वह सूर्य-लालिमा;
रजनी-चंद्रिका प्रसरित हो।
शुष्क पड़ा; जन हो उद्विग्न;
बाढ़ लहर लहराई हो।
तप्त करे यह सूर्य की ऊष्मा;
हिम-वृष्टि नहलाई हो।
क्या ऐसा भी हो सकता !
‘पतझड़ ऋतु में हरियाली हो।’
है जग में कुछ भी न असंभव,
विजय का दूजा नाम ही संभव।
आए अर्क जो अमेरिका में;
आए देश में चंद्रिका।
शुष्क पड़ी भूखंड हो ‘बांदा’;
बाढ़ यहाँ पर आई हो।
च्युत तुषार तो जम्मू में;
लू राजस्थान में आई हो।
किसी देश में पतझड़ हो तो,
किसी देश में हरियाली।
विजय का दूजा नाम ही ‘संभव’,
सकारात्मक पथ चुन ले।।
