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पछताना मत

पछताना मत

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कितने अरमान सजाये थे हमने

झूठी कसमे खाये थे तुमने

अब नाकाबिल समझ छोड़ ही दिया है

किसी दिन काबिल हो जाए तो पछताना मत


किसी और को फ़िर से रुलाना मत

किसी और को अपने झूठे वादे बतलाना मत

यदि तेरी ये झूठी बेबाक मोहब्बत मुझे बकवास लगनी लगे

तो जाने जिगर जाने मन पछताना मत


तेरे छोड़ने के बाद खूब रोया था

फज़र से शाम तक ना सोया था

इतनी सिद्दत से छोड़ा है मुझे

किसी और से दिल लगाकर पछताना मत


पर तू बोलती थी ना कि यू डेसेर्वे बेटर अब देख़

तेरे जाने के बाद मेरे अपने बढ़ने लगे है

इस बेरुखी सी जिंदगी के दामन सजने से लगे है

तेरे तौहीन पर लिखी कविता लोगो को भा रही है

और मुझे बस यही बात लुभा रही है


ज्यादा नही बोलूंगा बस अभी इतना काफी है

क्यूँकि तेरी झूठी मोहब्बत पर जितना लिखूं नाकाफी है



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