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कंंगाल

कंंगाल

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1. सुखी अँतड़ी सूखे पेट क्षुधा व्यथित कंगाल,

तुम्हीं कहो सजाये कैसे वो पूजा की थाल ?


2. उगता हुआ सूरज , बना सबब अंधियारे का,

ये देश उल्लुओं का है तो दोष सूरज का क्या ?


3. काश ये टेक्नोलॉजी भी तूने टेस्ट कर लिया होता,

खुशियों को कहीं से कॉपी पेस्ट कर लिया होता।


4. बिना बीड़ी बिना गुटका बिना बात की लड़ाई के

कभी बितते नहीं दिन ऐसे मेरी बड़की माई के।


5. कुछ अपना नसीबन कुछ सरकार की भलाई से,

कमबख्त जाते नहीं जाती ये ठंडी रजाई से।


6. महीने की रोटी और चुटकी कमाई से,

उठाओगे कैसे तुम नखरे भौजाई के ?


7. खुदा जाने कैसी अजब तेरी प्यास थी,

तुझसे तो बेहतर, तेरी तलाश थी।


8. क्या खूब अख्तियार है, पीने पे जनाब,

कि अच्छा पीने से पहले, और उम्दा पीने के बाद।


9. काश खुदा बरसा दे, बारिश ईमान की,

लोगों के जमीर पे बैठी है धूल बहुत।


10. डरा नहीं जो कभी शेर से, आज वो डर गया,

बिना लिए बीबी की चुड़ी, जब वो घर गया।


11. जीवन सुख-दुख का सैलाब, आओ मिल के देखे ख्वाब,

तू मेरे दुख का रखे हिसाब, मैं तेरे सुख की बनूँ किताब।


12. गरीबों को मलाल, अमीरी ना मिली,

अमीरों को मलाल , गरीबी ना मिली,

मखमली पलंग को तरसे गरीब और

अमीर को नींद-ए-फकीरी ना मिली।


13. रूह की आवाज को कुछ यूँ सजा रखता है,

जज्बात अमिताभ अल्फ़ाज़ आसां रखता है।


14. ढूढ़ता रहा सबक जो जाने कितने सवालों में,

जा के मुझे मिला वो जिंदगी की किताबों में।


15. ज़िंदगी को आप अगर वो देते हैं

जो जिंदगी आपसे चाहती है,

तो जिंदगी आपको वो देती है

जो आप जिंदगी से चाहते हैं।


16. जो खोजता है, मिलता नहीं,

जो मिलता है, खोजता नहीं,

आदमी इसीलिए फलता नहीं, फूलता नहीं।


17. मंदिर की घंटी, गुरुवाणी और मस्जिद का अजान,

और चर्च के प्रेयर से बनता ये हिंदुस्तान।


18. ख्वाहिश-ए-मंजिल है जायज़ "अमिताभ", मजा तो तब है,

लुत्फ़-ए सफर में असर हो, नशा-ए–मंजिल का।


19. उसने करके खबरदार , मारा अमिताभ को,

बेईमानी में ईमान की जरुरत कुछ कम नहीं।


20. "अमिताभ" के प्यास की, बात ही कुछ खास है,

समंदर से कुछ भी न , कम की तलाश है।


21. .इस दुनिया में आने की हो गयी ऐसी खता,

बदस्तूर अभी तक जारी है वो सिलसिला।


22. .कुछ सपनों की उम्मीद ले के

निकला था घर से, उम्मीदें पूरी हो गयी

और घर सपना हो गया।


23.अजीब से ख्यालों के अमिताभ है,

जो पास है उसका शौक नहीं,

जिसका शौक है वो पास नहीं।


24. इज्जत की रोटी और सुकूँ भरे रैन,

ए ख़ुदा तूने नींद की रख भी दी क्या कीमत।


25. पिए बिना चला नहीं जाता,

चिकन बिना रहा नहीं जाता,

जश्न-ए-गुलामी का ये आलम है,

तो आजादी का क्या होगा।


26. हो गया इश्क दफ़न, सुलगने से पहले ही,

ना मैंने इजहार किया, ना उसने इकरार।


27. और भी तरीके हैं जुल्मो-सितम के,

इस जहाँ में ख़ुदा भेजने के सिवा।


28. रोटी की जद्दोजहद में , "अमिताभ " तू बदला कहाँ,

पहले खा नहीं सकते थे, अब खा नहीं पाते।


29. ज़माने ने किया नहीं कोई अत्याचार है,

"अमिताभ " तो खुद की गलतियों का शिकार है।


30. .तेरा होना ही काफी है "अमिताभ "

इस महफ़िल में लाख बुराइयां हैं साथ, पर आदमी बुरे नहीं।


31. मेरे रोने पे हँसता है, मेरे हँसने पे रोता है,

मेरा अक्श मेरा होके भी मेरा अपना नहीं।


32. .ना ऐब तुझ में ना ऐब मुझ में,

"अमिताभ " कसक बस ये थी,

ख्वाहिशें तेरी कुछ ज्यादा,

व हैसियत मेरी कुछ कम थी।


33. तेरा ऐब है कि खासियत,"अमिताभ "का फितूर है,

तुझे चाहे न चाहे ख्वाबों में, होता तू जरूर है।


34. न पूरा समंदर के माफिक,

न खाली आसमान की तरह,

"अमिताभ" जिए तो क्या जिए ,

महज एक इंसान की तरह।


35. आप तो नाहक ही हम पे

इल्जाम लगा देते हैं,

लक्षण हैं बदतर और हम

अंजाम बता देते हैं।


36. ये क्या किया "अमिताभ", कि शख्सियत ही खुल गयी,

तेरी जुबाँ से बेहतर , तेरी ख़ामोशी थी।


37. चख के भी भला स्वाद भला

बताऊँ क्या ज़माने को,जहर नहीं होता

पिलाने के लिए।


38. कौन कहता है

ख़ुदा इंसाफ नहीं करता,

पलंग गरीबों को नसीब नहीं,

और अमीरों को नींद।


39. यूँ ही नहीं करता

ज़माने को रोशन "अमिताभ "

सीने में कोई आग दफ़न तो होगी।


40. साथ देती हो

कभी तनहा छोड़ जाती हो,ऐ जिंदगी

तुझे सीखने को आदमी से

बस यही एक मिला था।


41. न अता होता है, न खता होता है,

जो कुछ किया है, मुझे पता होता है।


42. जितने भी घाव दिए उसने,

मेरी छाती पे ही दिये,

वो आदमी था बुरा जरूर,

पर इतना बुरा भी नहीं।


43. सजा सुनाई तूने,

क्या खूब इस गुनाह की,

कि हाथ उठाई भी नहीं,

और वो नजरों से उतर गया।।


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