मै खुद को संभाल पाती हूँ
मै खुद को संभाल पाती हूँ
यूँ ही नहीं मै खुद को संभाल पाती हूँ,
ठोकर खाकर ही खुद को जान पाती हूँ |
है रहमत खुदा की ,दुआ है मेरी माँ की ,
यूँ ही नहीं इक समन्दर मन के अंदर समेट पाती हूँ |
किसी से किसी की न शिकायत करूं में ,
है छोटी उमर बस रियायत करूं में ,
न कुछ पाने की इक्छा न खोने का डर,
है दिल में मिठास न है कोई ज़हर,
बांटकर सबमें खुशियां इक सुकून पाती हूँ |
यूँ ही नहीं मै खुद को संभाल पाती हूँ|
