नारी का जीवन
नारी का जीवन
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बँधा पड़ा नारी का जीवन,
सुबह से ले कर शाम।
एक चेहरा किरदार बहुत,
जीवन मे नही विश्राम।
बेटी बहन माँ पत्नी,
बन कर देती आराम।
दिखती सहज सरल पर,
लेकिन होती नहीं आसान।
भले बीते दुविधा में जीवन,
नहीं होती परेशान।
ताल मेल हरदम बिठाती,
बनती अमृत के समान।
परोपकार की देवी होती,
करती नव जीवन दान।
अनमोल उपहार ये घर का,
प्रकृति का है वरदान।।